Lumpy Virus: क्या सुरक्षित है लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं का दूध ? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Lumpy Skin Disease: एलएसडी (LSD) नामक बीमारी गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा समेत दर्जनभर से ज्यादा राज्यों के जानवरों में फैल चुकी है. गंदे खाने-पीने और हवा से इसके फैलने का खतरा होता है.
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Milk of Lumpy Virus Animal: लंपी त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease) एक ऐसी बीमारी है, जो पशुओं को प्रभावित करती है. इसे लेकर लोगों के मन में सवाल था कि क्या लंपी वायरस से संक्रमित पशु का दूध पीने से इंसान को भी कोई बीमारी हो सकती है. एक्सपर्ट का मानना है कि इससे संक्रमित पशु के दूध का सेवन करना सुरक्षित है, क्योंकि यह संक्रमण पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.
बता दें कि, एलएसडी (LSD) नामक बीमारी गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा समेत दर्जनभर से ज्यादा राज्यों में फैल चुकी है. पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 197 जिलों में 16.42 लाख पशु इससे संक्रमित हो चुके हैं और जुलाई से 11 सितंबर 2022 के बीच 75 पशुओं की मौत हो चुकी है.
क्या है लंपी स्किन डिजीज (LSD) ?
एलएसडी (LSD) एक संक्रामक रोग है, जिसमें पशुओं में बुखार और त्वचा पर दाने निकलने जैसे लक्षण पनपते हैं. इससे जानवरों की मौत भी हो सकती है. यह बीमारी संक्रमित मच्छरों, मक्खियों, जूं के सीधे संपर्क में आने से फैलती है. इसके अलावा गंदे खाने-पीने और हवा से भी इसके फैलने का खतरा होता है.
जानवरों से इंसानों में नहीं फैसला
संक्रमित पशुओं से मिलने वाले दूध की गुणवत्ता और सुरक्षा पर आईवीआरआई के संयुक्त निदेशक अशोक कुमार मोहंती ने बताया कि एलएसडी जानवरों से इंसानों में फैलने वाला रोग नहीं है. संक्रमित पशुओं के दूध का सेवन किया जा सकता है. दूध को आप अच्छे से उबालकर या फिर बिना उबाले पिएं, उसकी गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता.
समय पर दवा देना जरूरी
मोहंती ने बताया कि जब जानवर इस बीमारी से संक्रमित होते हैं तो बुखार और अन्य लक्षणों से वह कमजोर हो जाते हैं. इससे दूध के उत्पादन पर गंभीर असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर पशु को समय पर टीका दिया गया हो तो बीमारी और दूध उत्पादन पर लंपी रोग के असर को कम किया जा सकता है.
एंटी एलएसडी वैक्सीनेशन पर मोहंती ने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अभी तक राज्यों में ‘गोट पॉक्स’ टीका दिया जा रहा है. इसके लिए अब एक नया टीका विकसित किया गया है और नियामक एजेंसियों द्वारा मंजूरी मिलने के बाद यह उपलब्ध हो सकेगा.
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