(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
आप विधायक विवाद पर बोले अन्ना- हमने पहले ही रास्ते अलग कर लिए थे, अब कोई संपर्क नहीं है
सतारा (महाराष्ट्र): समाजसेवी अन्ना हजारे ने आप (आम आदमी पार्टी) विधायकों की सदस्यता मामले पर कहा है कि अरविंद केजरीवाल जब पार्टी बना रहे थे तब अन्ना ने अपने रास्ते अलग कर लिये थे. वे आगे कहते हैं, "हम अब संपर्क में नहीं हैं."
अन्ना ने कहा कि मैनें उन्हें कहा था कि पार्टी मत बनाइए. एक पार्टी बनाने से राष्ट्र की सेवा नहीं की जा सकती. अगर ऐसा ही था तो आजादी के 70 सालों के बाद देश की तस्वीर अलग होती.
आपको याद हो कि साल 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के जन लोकपाल आंदोलन के समय से लेकर आम आदमी पार्टी के जन्म लेने तक अन्ना और अरविंद एक साथ थे लेकिन जैसे ही अरविंद के राजीनित में आने की सुगबुगाहट हुई, अन्ना और कई अन्य लोग अलग हो गए.
क्या है लाभ के पद वाला मामला
कानून के मुताबिक, दिल्ली में कोई भी विधायक रहते हुए लाभ का पद नहीं ले सकता है. आरोप है कि इसके बाद भी केजरीवाल की पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर उन्हें लाभ का पद दिया. हालांकि अब इन विधायकों की संख्या 20 रह गई है, क्योंकि इनमें से जरनैल सिंह ने पंजाब विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था.
लाभ के पद मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के 20 विधायकों की सदस्यता जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेज दी है. इन सभी विधायकों पर संसदीय सचिव के तौर पर लाभ का पद लेने का आरोप है.
इसी बीच आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि किसी भी विधायक को वेतन, गाड़ी और बंगला नहीं दिया गया था फिर 'लाभ का पद' कैसे?
आम आदमी पार्टी ने दी थी ये सफाई आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी का कहना था कि देश के कई राज्यों में संसदीय सचिव के पदों पर मुख्यमंत्री विधायकों की नियुक्ति करते हैं फिर उन्हें क्यों रोका जा रहा है? दरअसल केजरीवाल जिन राज्यों की बात कर रहे थे, वहां की सरकारों ने पहले कानून बनाया, उसके बाद वहां संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई. जबकि दिल्ली में ऐसा नहीं हुआ. अगर रद्द हुई विधायकों की सदस्यता तो क्या होगा?बड़ा सवाल है कि अगर आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई तो क्या होगा? दरअसल दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 36 होना चाहिए. लेकिन वर्तमान में आम आदमी पार्टी के 66 विधायक हैं. ऐसे में अगर 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई तो भी दिल्ली सरकार के पास बहुमत के आंकड़े से 10 सीटें ज्यादा होंगी. हालांकि इन 20 सीटों पर चुनाव आयोग दोबारा बाइ इलेक्शन कराएगा.