भारत में वार्षिक बिजली के उपभोग में पिछले 35 सालों में पहली बार वित्त वर्ष मार्च में गिरावट दर्ज की गई. रॉयटर्स द्वारा की गई सरकारी आंकड़ों की समीक्षा दिखाती है कि इसकी मुख्य वजह देशभर में लागू किया गया सख्त लॉकडाउन रहा. गौरतलब है कि फेडरल ग्रिड ऑपरेटर POSOCO से दैनिक लोड डिस्पैच डाटा के विश्लेषण से भी पता चला है कि पिछले वर्ष की तुलना में देश में वित्त वर्ष में बिजली उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं मार्च से अगस्त के बीच लॉकडाउन पीरियड में उत्पादन में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी. डाटा के मुताबिक उपभोग में कमी की वजह से ही उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई थी.


मार्च 2021 में बिजली की डिमांड में 23.2 प्रतिशत का इजाफा


डाटा के मुताबिक मार्च 2021 में पिछले साल की तुलना में बिजली की डिमांड में 23.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई. यह वित्त वर्ष में लगातार सातवीं मासिक बढ़ोतरी रही. दरअसल अगस्त में जब सब अनलॉक होने लगा तो हर महीने बिजली की डिमांड भी बढ़ने लगी. गौरतलब है कि ये साल 2010 के बाद से सबसे ज्यादा मासिक वृद्धि रही है. ऐसे में इससे क्लियर हो जाता है कि लॉकडाउन के दौरान बिजली का उपभोग काफी कम हुआ.


लॉकडाउन की वजह से बिजली का उपभोग कम हुआ


डाटा के मुताबिक मार्च 2021 में बिजली का उत्पादन पिछले 6 महीनों में 6 फीसदी औसत वृद्धि की तुलना में  काफी तेजी से बढ़ा है. दरअसल साल 2020 में लॉकडाउन की वजह से बिजली के उपभोग में कमी हुई तो उत्पादन भी गिर गया था.


इस साल लगातार बढ़ रही है बिजली की मांग


वहीं उत्तरी भारत में मार्च में दर्ज किए गए उच्च तापमान और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के कारण इस साल बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है.  एयर कंडीशनिंग का उपयोग भी ज्यादा किया जा सकता है. ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में बिजली के उत्पादन और डिमांड दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी.


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