Gyanvapi Mosque मामले पर SC में एक और याचिका दाखिल, वकील अश्विनी उपाध्याय बोले- नमाज पढ़ने से मंदिर का स्वरूप नहीं बदल जाता
Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मामले पर एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर कहा कि नमाज पढ़ने से मंदिर का स्वरूप नहीं बदलता.
Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी विवाद सेशंस कोर्ट से ट्रासंफर होने के बाद आज पहली बार जिला अदालत में सुनवाई होगी. ये सुनवाई 2 बजे होगी. वहीं अब काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की है कि उनका पक्ष भी सुना जाए. उन्होंने कहा कि ये मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है. सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है. ये सम्पत्ति हमेशा से उनकी रही है.
उन्होंने आगे कहा कि, किसी सूरत में सम्पत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता. एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद मन्दिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने और यहां तक कि नमाज पढ़ने से भी मन्दिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता, जब तक कि विसर्जन की प्रकिया द्वारा मूर्तियों को वहां से शिफ्ट न किया जाए. उन्होंने अपनी याचिका में यह भी दलील दी कि इस्लामिक सिद्धान्तों के मुताबिक भी मन्दिर तोड़कर बनाई गई. कोई मस्जिद वैध मस्जिद नहीं है. 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता. उन्होंने अपनी याचिका में मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करने की मांग की है.
8 हफ्ते में सुनवाई पूरी करने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश
दरअसल, जिला जज अजय कुमार विश्वेश की कोर्ट में पहली बार केस ओपन होगा और केस की रोजाना सुनवाई भी की जा सकती है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत को 8 हफ्ते में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है. हिंदू पक्ष की मांग है कि नंदी के सामने वाली दीवार को तोड़ा जाए जबकि मुस्लिम पक्ष की दलील है कि जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है वो फव्वारा है. हिंदू पक्ष की मांग है कि मस्जिद में मिले मंदिरों के प्रतीक चिह्नों की जांच आगे बढ़ाई जाए लेकिन मुस्लिम पक्ष की दलील है कि मस्जिद में किसी तरह की तोड़फोड़ या जांच नहीं होनी चाहिए.
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