India China Tension: भारत-चीन के बीच आज WMCC की बैठक, सीमा तनाव घटाने के उपायों पर रजामंदी बनाने की कोशिश
इससे पहले WMCC के तहत पिछले दौर की वार्ता 12 मार्च को हुई थी. ऐसा माना जा रहा है कि राजनयिक चर्चा के बाद कोर कमांडर स्तर के अधिकारियों के बीच भी वार्ता होगी.
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच आज पूर्वी लद्दाख को लेकर एक और दौर की राजनयिक वार्ता होगी, जिसमें गतिरोध वाली बची जगहों से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की जाएगी. भारत-चीन सीमा मामलों पर बातचीत के लिए बने डब्ल्यूएमसीसी की ये 22वीं बैठक है. दोनों देशों के बीच डब्ल्यूएमसीसी की 21वें दौर की बैठक जहां 12 मार्च को हुई थी. वहीं सैन्य कमांडर 9 अप्रैल 2021 को मिले थे. इसके बाद से दोनों पक्षों के बीच मौजूदा सीमा तनाव को सुलझाने को लेकर बातचीत की कवायद ठिठकी हुई थी.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में भारत का जोर खासतौर पर पीपी15 और पीपी17ए जैसे उन बिंदुओं से सैन्य मौजूदगी घटाने के फॉर्मूला पर होगा. जहां दोनों तरफ से सैनिक मोर्चाबंदी अब भी मौजूद है. क्योंकि आमने-सामने की मोर्चाबंदी हटाए बिना आपसी तनाव घटाने के अन्य उपायों को सुनिश्चति करना और शांति बहाली के कदमों पर बढ़ना मुमकिन नहीं है.
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर सैन्य गतिरोध जारी
भारत और चीन के बीच पिछले साल मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर सैन्य गतिरोध है. फरवरी 2021 में बनी आपसी समझ के बाद पैंगोंग झील के उत्तर व दक्षिणी इलाकों से दोनों पक्षों ने अपनी सैन्य मौजूदगी घटा ली थी. हालांकि लद्दाख में फैली वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई मोर्चों पर सैन्य असहमति के बिंदु बरकरार हैं. हॉटस्प्रिंग और गोगरा ऐसे ही इलाके हैं जहां मई 2020 के बाद से चीन ने अपने सैनिकों को आगे बढ़ाया लेकिन अब तक पीछे नहीं लिया है.
इसके अलावा देपसांग इलाके में भी चीनी सौनिकों की मौजूदगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक फांस की तरह बरकरार है. सूत्रों के मुताबिक पूरी तरह शांति बहाली और अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में लौटने के लिए जरूरी है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर न केवल चीन के सैनिक आमने-सामने की मोर्चाबंदी हटाने पर राजी हों. बल्कि चीन इलाके से अपनी सैन्य मौजूदगी घटाने पर भी राजी हो. तभी डिसइंगेजमेंट और डीएस्केलेशन यानी तनाव घटाने की तय योजना को अमल में लाया जा सकता है.