नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से कथित तौर पर मारपीट और बदसलूकी करने के मामले में दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मीटिंग में मौजूद विधायको को नोटिस भेज कर पूछताछ कर लिए बुला सकती है. बता दें कि पुलिस को केजरीवाल के घर लगे सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग में गड़बड़ी मिली है.
केजरीवाल के घर पुलिस ने की करीब दो घंटे जांच
पुलिस के मुताबिक, शुरुआती जांच में पाया गया है कि सीसीटीवी फुटेज की टाइमिंग में अंतर है. शुक्रवार को इस मामले में दिल्ली पुलिस की सुबह करीब 11.30 बजे मामले की जांच करने के लिए केजरीवाल के घर पहुंची थी. जहां केजरीवाल के घर में दिल्ली पुलिस की टीम ने करीब दो घटे तक जांच की.
पुलिस के मुताबिक, केजरीवाल के घर से 21 सीसीटीवी कैमरों को हार्डडिस्क को बरामद किया गया है. जिनमे से 14 में रिकॉर्डिंग पाई गई है जबकि सात में रिकॉर्डिंग नही मिली है.
चौकानें वाली बात है कि पुलिस के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज बाकी टाइमिंग में भी 40 मिनट 42 सेकेण्ड का अंतर पाया गया है. पुलिस सूत्र बताते है कि जांच के दौरान कुछ कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई है, जिनमें से एक पीडब्लूडी के जेई है तो दूसरे सीसीटीवी ऑपरेट करने वाले कर्मचारी भी है.
कैबिनेट सेक्रेटरी से मुलाकात कर पीएम तक बात पहुंचाएंगे नौकरशाह
इस मामले को लेकर आईएएस एसोसिएशन, दानिक्स अफसर असोसिएशन और केंद्रीय सचिवालय सेवा के प्रतिनिधि आज दोपहर 12 बजे कैबिनेट सेक्रेटरी पीके सिन्हा से मुलाकात करेंगे. अधिकारी कैबिनेट सेक्रेटरी के जरिये पीएम मोदी तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं.
अधिकारियों की मांग है कि केन्द्र इस मामले पर दखल दें, जिससे अधिकारी भयमुक्त वातावरण में काम कर सकें. कैबिनेट सेक्रेटरी देश के नंबर 1 नौकरशाह माने जाते है.
कल आईएएस एसोसिएशन ने की थी पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह से मुलाक़ात
गौरतलब है कि शुक्रवार को आईएएस और दानिक्स अफसरों ने पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह से मुलाक़ात कर केंद्र सरकार से संरक्षण देने की मांग की. आईएएस एसोसिएशन और दानिक्स अफसर असोसिएशन के अफसरों ने केजरीवाल सरकार के मंत्रियों और विधायकों पर गंभीर आरोप लगाते कहा कि मामला सिर्फ मुख्य सचिव की पिटाई तक सीमित नहीं है. तमाम प्रशासनिक अधिकारियो पर दबाब डाल कर मनमाफ़िक फैसले कराए जाते हैं.
कमरे में विधायक अपने समर्थकों के साथ घुसकर चैंबर बन्द कर धमकी दी जाती है कि अगर उनके मुताबिक़ फैसले पर साईन नहीं करते तो उन्हें जाने नहीं दिया जायेगा. यहाँ तक कि महिला अफसरों को भी बदसलूकी का सामना करना पड़ता है.