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दिल्ली से हमारे दर्शक महफूज, समस्तीपुर से रमेश शर्मा, हावड़ा से सौमेन चौधरी, फरीदाबाद से योगेश कुमार का सवाल –

पीएम मोदी नेपाल क्यों गए? क्या ये दौरा अचानक तय हुआ?

विदेश सचिव विजय गोखले के मुताबिक जब 15 फरवरी, 2018 को केपी शर्मा ओली नेपाल के पीएम बने तब मोदी ने उन्हें फोन कर बधाई दी थी. इसी दौरान यात्रा पर चर्चा हो गई थी.

गोखले ने बताया कि मोदी ने ओली को पहले भारत आने का न्यौता दिया. इसीलिए 7 अप्रैल को ओली दिल्ली आए थे. उन्होंने कहा कि राजकीय यात्राएं दोनों देशों की सहूलियत के मुताबिक तय होती हैं. कोई एक प्रधानमंत्री यात्रा और मुलाकात का वक्त अकेले तय नहीं कर सकता.

तासगांव से पवन खोट का सवाल-

नेपाल में मोदी किन मंदिरों में गए?

पीएम मोदी नेपाल दौरे के पहले दिन जनकपुर के जानकी मंदिर गए. उन्होंने कहा कि वो भारत के पहले प्रधानमंत्री हूं जिन्होंने जनकपुर में आकर पूजा की. दौरे के दूसरे दिन वो थोरांग ला पहाड़ियों की तराई में स्थित मुस्तांग जिले के मुक्तिनाथ मंदिर गए. मुक्तिनाथ घाटी में स्थित मुक्तिनाथ मंदिर हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए पवित्र स्थल है. इसके बाद मोदी काठमांडू के मशहूर पशुपतिनाथ मंदिर भी गए.

मुंबई से वसंत देवासी, पठानकोट से सरवन कुमार का सवाल-

क्या नेपाल से और कारोबार बढ़ेगा? नेपाल के साथ क्या डील पक्की हुई है?

भारत और नेपाल में कारोबार बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई है. हालांकि कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ है.

द्विपक्षीय वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय बाजार में नेपाल की कंपनियों को आने का प्रस्ताव दिया है. इसके लिए भारत ने व्यापार संधि और नेपाल में बने उत्पादों को भारतीय बाजार में आसानी से पहुंचाने में भी मदद देने की बात कही है.

दोनों देशों के बीच बिजली क्षेत्र में भी कारोबार बढ़ाने भी सहमति बनी. पीएम मोदी और नेपाली पीएम ओली ने पूर्वी नेपाल के तुमलिंगतर क्षेत्र में 900 मेगावाट की बिजली परियोजना की नींव रखी. ये प्रोजेक्ट भारत की कंपनी बना रही है.

भारत और नेपाल ने वायु, जल औऱ थल मार्ग के जरिए संपर्क और मजबूत बनाने पर भी रजामंदी व्यक्त की.

इसके अलावा पीएम मोदी ने नेपाल के जनकपुर से अयोध्या के बीच यात्री बस सेवा को हरी झंडी दिखाई. इसे रामायण सर्किट के तौर पर प्रमोट किया जा रहा है. इसके जरिए पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

जमशेदपुर से त्रिपुरारी का सवाल-

नेपाल में भारत के पुराने नोट को लेकर क्या तय हुआ?

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नरेंद्र मोदी से नोटबंदी के दौरान बंद हुए 1,000 और 500 के पुराने भारतीय नोट बदलने की गुजारिश की. ये नोट नेपाल के बैंकों और नागरिकों के पास अभी भी मौजूद हैं. नेपाल राष्ट्र बैंक के मुताबिक नेपाल में 3.3 करोड़ रु के पुराने भारतीय नोट है.

भारत के विदेश सचिव विजय गोखले के मुताबिक दोनों देश नोटों की अदला-बदली में आने वाली तकनीकी दिक्कतों पर बात कर रहे हैं. उनका मानना है कि दोनों देशों के सेंट्रल बैंक जल्द ही कोई रास्ता निकालेंगे.

अलीगढ़ से पवन शर्मा, जींद से नरेश बंसल, फिरोजपुर झिरका से विनोद बंसल, वाराणसी से सौरभ का सवाल-

सवाल- क्या नेपाल को चीन के करीब जाने से रोका जा सकता है?

नेपाल की विदेश नीति में भारत और चीन दोनों देशों की हमेशा से काफी अहमियत रही है. वो दोनों देशों से समय-समय पर अपने रिश्तों की समीक्षा करता रहता है. कभी वो भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन के करीब दिखता है तो कभी चीन पर दबाव बनाने के लिए भारत को अहमियत देता है.

2015 में जब भारत-नेपाल के बॉर्डर पर 5 महीने नाकेबंदी रही थी तब दोनों देशों के रिश्तों में काफी खटास आई थी. उस वक्त नेपाल ने चीन से मदद मांगी थी. लेकिन तब से अब स्थितियां थोड़ी बेहतर हुई हैं.

इस बार मोदी ने अपनी नेपाल यात्रा पर एक मेगा पनबिजली परियोजना की नींव रखी है. भारत सरकार के इस कदम को नेपाल में चीनी प्रभाव के खिलाफ बड़ा कदम माना जा रहा है. नेपाल में फिलहाल बन रही पांच पनबिजली परियोजनाओं में यह पहली है. इसके अलावा नेपाल में दो चीनी कंपनियां इनका निर्माण कर रही हैं.

इस बार पीएम मोदी अपने नेपाल दौर पर मुक्तिनाथ मंदिर गए जो कि नेपाल-चीन बॉर्डर के करीब है. ऐसा बताया जाता है कि 2014 में भी मोदी अपने नेपाल दौरे पर इस मंदिर में जाना चाहते थे लेकिन तब नेपाल ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. लेकिन इस बार मोदी को मुक्तिनाथ मंदिर जाने की हरी झंडी मिल गई. इसे भी नेपाल का चीन को एक बड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.

हाल के सालों में चीन ने भारत की तुलना में नेपाल में कई गुना ज्यादा निवेश किया है. पिछले साल मई में नेपाल ने बीजिंग के महत्वाकांक्षी वन बेल्ट, वन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पहल पर हस्ताक्षर किए थे. जबकि भारत ने इससे इनकार कर दिया था. साफ है कि नेपाल समय-समय पर अपने हित के हिसाब से भारत-चीन रणनीति बनाता है.