Karnataka Anti-Conversion Bill: विपक्षी कांग्रेस (Congress) के वॉकआउट के बीच कर्नाटक विधानसभा (Karnataka Legislative Assembly) में बुधवार को धर्मांतरण विरोधी विधेयक (Anti-Conversion Bill) पारित किया गया. इस विधेयक को पिछले सप्ताह विधान परिषद ने मामूली संशोधनों के साथ पारित किया था, जिसमें विधेयक को प्रभावी बनाने के लिए मौजूद अध्यादेश को बदलने की मांग की गई थी.


बता दें कि इससे पहले विधानसभा ने पिछले साल दिसंबर में ‘कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ पारित किया था. चूंकि, विधेयक विधान परिषद में पारित होने के लिए लंबित था, जहां सत्ताधारी बीजेपी सरकार (BJP Government) के पास उस समय बहुमत नहीं था. सरकार ने बाद में इस साल मई में विधेयक को प्रभावी बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया था. बिल को आखिरकार 15 सितंबर को विधान परिषद ने पारित कर दिया. 


कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र (Araga Gyanendra) ने बुधवार को धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का कर्नाटक संरक्षण विधेयक, 2022 (विधानसभा द्वारा पारित और विधान परिषद द्वारा संशोधनों के साथ पारित) को पुनर्विचार और पारित करने के लिए पेश किया. राज्यपाल की सहमति के बाद कानून 17 मई 2022 से प्रभावी होगा, जिस तारीख को अध्यादेश जारी किया गया था.


कांग्रेस ने किया विरोध


विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता यू टी खादर (Congress Deputy Leader UT Khadar) ने कहा कि हर कोई जबरन धर्मांतरण का विरोध करता है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक का इरादा सही नहीं है. यह राजनीति से प्रेरित, अवैध और असंवैधानिक है. इसे अदालतों में चुनौती दी जाएगी और अदालतें स्टे दे सकती हैं या इसे खत्म कर सकती हैं. कांग्रेस विधायक शिवानंद पाटिल ने कहा कि इसका दुरुपयोग होने की पूरी संभावना है और इससे उत्पीड़न भी हो सकता है.


बीजेपी ने बचाव में दी ये दलील


विधेयक का बचाव करते हुए मंत्री ज्ञानेंद्र ने कहा कि विधेयक में दुरुपयोग या भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं है और यह किसी भी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि विधेयक संविधान के अनुसार है और विधि आयोग द्वारा ऐसे विभिन्न कानूनों का अध्ययन करने के बाद धर्मांतरण विरोधी विधेयक लाया गया. दिसंबर में विधानसभा में विधेयक के पारित होने के दौरान, ज्ञानेंद्र ने कहा था कि आठ राज्य इस तरह के कानून को पारित कर चुके हैं या लागू कर रहे हैं और कर्नाटक इस लागू करने वाला नौवां राज्य बन जाएगा.


धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत प्रावधान



  • जहां तक इस बिल में कानूनी प्रावधानों की बात है, इसमें 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से पांच साल की कैद का प्रस्ताव है, जबकि नाबालिगों, महिलाओं, एससी / एसटी के संबंध में प्रावधानों के उल्लंघन के लिए अपराधियों को तीन से दस साल की कैद और कम से कम 50,000 रुपये का जुर्माना होगा. 

  • बिल में अभियुक्तों को धर्म परिवर्तन करने वालों को मुआवजे के रूप में पांच लाख रुपये तक का भुगतान करने का प्रावधान भी है और सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 3 से 10 साल की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा. 

  • इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी विवाह जो एक धर्म के पुरुष द्वारा दूसरे धर्म की महिला के साथ अवैध रूप से धर्मांतरण या इसके विपरीत या तो शादी से पहले या बाद में खुद को परिवर्तित करके या शादी से पहले या बाद में महिला को परिवर्तित करके हुआ हो, परिवार न्यायालय द्वारा शून्य और शून्य घोषित किया जाएगा.

  • जहां भी पारिवारिक न्यायालय स्थापित नहीं होता है, वहां क्षेत्राधिकार रखने वाला न्यायालय विवाह के दूसरे पक्ष के खिलाफ किसी भी पक्ष द्वारा पेश याचिका पर इस तरह के मामले की सुनवाई कर सकता है.

  • विधेयक में कहा गया है कि जो व्यक्ति किसी अन्य धर्म में परिवर्तित होना चाहते हैं, वे अपने निवास जिले या स्थान के संबंध में जिला मजिस्ट्रेट या विशेष रूप से जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अधिकृत अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को कम से कम 30 दिन पहले राज्य के भीतर जन्म का एक निर्धारित प्रारूप में एक घोषणा देंगे. 


इसे भी पढ़ेंः-


Raju Srivastav Death: राजू श्रीवास्तव की मौत से गमगीन हुई इंडस्ट्री, सुभाष घई से लेकर दलेर मेहंदी बोले- 'इतनी जल्दी क्यों चले गए...'


अशोक गहलोत के पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की चर्चा के बीच सचिन पायलट का बड़ा बयान- कांग्रेस में कोई भी दो पदों पर नहीं रह सकता