Uttarakhand: मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ. यह सत्र 5 दिसंबर तक चलेगा. वैसे तो सदन में मंगलवार को कुल दस विधेयक पास किए गए. लेकिन इसमें से एक की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. वह है उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2022. 


प्रदेश सरकार जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून ला रही है. इसी को लेकर प्रदेश के संस्कृति व धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया. इस विधेयक में सामूहिक धर्मपरिवर्तन का दोष सिद्ध होने पर 10 साल की गैर जमानती सजा का प्रावधान किया गया है.


सजा के कड़े प्रावधान 


इस विधेयक के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी भी प्रकार का लालच दे कर धर्म परिवर्तन नहीं करा सकता है. और ना ही किसी भी धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी कर सकता है. धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण कराने वाले पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं अगर कोई ऐसा करता है तो उस पर ₹ 10,000 से ₹ ​​25,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा.  


राज्य मंत्री सतपाल महाराज ने धार्मिक मामलों के बिल के उद्देश्यों और कारणों को बताते हुए कहा की भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के तहत, धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत, प्रत्येक के महत्व को समान रूप से मजबूत करने के लिए धर्म, उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 में संशोधन आवश्यक है.


दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास का प्रावधान किया गया है. अपराध करने वाले को कम से कम पांच लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है, जो पीड़ित को दिया जाएगा. विधेयक के अनुसार, 'कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बल, प्रलोभन या कपटपूर्ण साधन द्ववारा एक धर्म से दूसरे में परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा. कोई व्यक्ति ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित या षडयंत्र नहीं करेगा.


उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में जो बिल पेश किए गए, उनमें उत्तराखंड पब्लिक सर्विसेज (हॉरिजेंटल रिजर्वेशन फॉर वुमेन) बिल, 2022 भी शामिल हैं. इसके तहत राज्य में महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 20 से 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण उपलब्ध करवाना है. यह प्रावधान उन महिलाओं के लिए किया जा रहा है, जो राज्य में स्थायी रूप से रह रही हैं.


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