विपक्ष के विरोध के बीच, सोमवार को राज्य विधान परिषद में गोहत्या और गोवंश संरक्षण विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. बता दें कि विधानसभा में यह विधेयक पहले ही पारित किया जा चुका है. इस दौरान परिषद के उप सभापति एम के प्राणेश द्वारा विधेयक पर वोटिंग कराई गई. जिसके बाद जद (एस) के कई एमएलसी हंगामा करने लगे. कई नेताओं ने विधेयक की प्रतियों को फाड़ कर हवा में उड़ा दिया.


हंगामें के बीच विधेयक किया गया पारित


हंगामे के बीच उप सभापति ने घोषणा की कि विधेयक पारित हो चुका है, बाद में सदन को मंगलवार के लिए स्थगित कर दिया गया. बता दें कि इससे पहले पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान द्वारा विधेयक को सदन में पेश किया गया था. इस दौरान कई कांग्रेस और जेडीएस पार्षदों द्वारा विधेयक को किरान विरोधी बताया गया. कहा गया थि इससे समाज के खास वर्ग को टारगेट बनाए जाने का खतरा है. विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास विचार हेतु भेजे जाने की मांग की लेकिन आसन ने इस मांग को मंजूरी नहीं दी.


कांग्रेस ने विधेयक को बताया गलत


वहीं बी.के. कांग्रेस एमएलसी, हरिप्रसाद का कहना है कि सरकार ने विधेयक को "बुलडोज़" किया और विधेयक पारित किया और विपक्ष मंगलवार को भी विरोध जारी रखेगा. गौरतलब है कि जनता दल (एस), जो मंगलवार को होने वाले परिषद अध्यक्ष के चुनाव के लिए भाजपा के साथ गठबंधन कर रही है, ने भी विधेयक का विरोध किया. वहीं कांग्रेस और जनता दल (एस) के सदस्यों ने विधेयक पर आपत्ति जताई और मत विभाजन की मांग की, जिसकी अनुमति नहीं थी. इसके साथ ही  कांग्रेस एमएलसी हरिप्रसाद ने ये सवाल भी उठाया कि  जब बीजेपी ने स्वतंत्र रूप से सदन में बहुमत नहीं रखा, तो विभाजन की मांग होने पर ध्वनिमत से विधेयक कैसे पारित किया जा सकता है? ” हरिप्रसाद ने कहा कि यह विधेयक गलत है और इसे केवल बीजेपी के वैचारिक एजेंडे को पूरा करने के लिए लाया गया है.


ये हैं बिल के प्रावधान


मवेशी हो गाय, गाय का बछड़ा, बैल और सभी उम्र के बैल और 13 से कम उम्र की नर और मादा भैंस के तौर पर चिन्हित किया जाएगा.


वध के विए मवेशियों का परिवहन, बिक्री खरीद और निपटान निषिद्ध कर दिया गया है.


किसी के दोषी पाए जाने पर, जब्त किए गए मवेशी, वाहन, परिसर और सामग्री राज्य सरकार को सौंप दी जाएगी.


सभी अपराध को संज्ञेय की श्रेणी में रखा जाएगा और इस अध्यादेश के अंतर्गत कोई प्राधिकारी सक्षम प्राधिकारी के खिलाफ शक्तियो का इस्तेमाल नहीं कर सकता है.


अगर कोई इस अध्यादेश के प्रावधानों की अवेहलना  करता है तो सजा का प्रावधान भी है. उसे 3-7 साल की सजा या 50 हजार रुपये का जुर्माना या 5 लाख का जुर्माना या दोनों को भुगतना पड़ सकता है.


ये भी पढ़ें


उत्तराखंड त्रासदी: तपोवन की सुरंग में जिंदगी की आखिरी आस, 35 लोगों को निकालने के लिए ऑपरेशन जारी


Farmers Protest: तेंदुलकर-अक्षय-विराट के ट्वीट की होगी जांच, जावड़ेकर बोले- महाराष्ट्र में देशभक्ति गुनाह हो गई?