India Anti Drone System: सीमापार से देश में ड्रोन के बढ़ते खतरों को देखते हुए एंटी ड्रोन सिस्टम भी तैयार हो रहे हैं. खास तौर से बॉर्डर पर ड्रोन के जरिए होने वाली ड्रग्स, हथियारों की स्मगलिंग और सैन्य संस्थानों पर ड्रोन अटैक को रोकना है. इसके अलावा वीवीआईपी (VVIP) सुरक्षा के लिए भी ड्रोन अटैक बड़ा खतरा है.


ऐसे ही काउंटर ड्रोन सिस्टम की एक प्रदर्शनी दिल्ली में गृह मंत्रालय के अधीन बीपीआरडी (BPRD) के मुख्यालय में लगाई गई है. कभी अपनी बेहद ही सुरक्षित अलमारियों के लिए दुनियाभर में मशहूर गोदरेज कंपनी देश की आंतरिक सुरक्षा में भी उतर चुकी है. कंपनी ने एक खास एंटी-यूएवी ड्रोन सिस्टम तैयार किया है.


क्या है तैयारी


गोदरेज कंपनी ने फ्रांस की एक कंपनी से इस काउंटर ड्रोन सिस्टम के लिए भारत में अनुबंध किया है. ये एंटी ड्रोन सिस्टम दिखने में एक खास गन लगता है, जिसे कि कंपनी ने चिमेरा (Chimera) नाम दिया है. ये मैन पैड यानी मैन-पोर्टबेल और स्टैटिक दोनों वर्जन में मौजूद है. कंपनी के सीनियर मैनेजर सुमन महापात्रा ने एबीपी न्यूज को बताया कि मैन पोर्टबैल यानी जिसे एक जवान अपने कंधों पर उठाकर चल सकता है वो करीब एक किलोमीटर की रेंज में आए दुश्मन के किसी भी अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) को मार गिरा सकता है. 


गोदरेज कंपनी के मुताबिक चिमेरा सिस्टम किसी भी ड्रोन को ट्रैक करने की क्षमता रखता है क्योंकि इसमें एक खास एंटीना लगा है जो कि जवान अपनी पीठ पर बैक पैक की तरह रख सकता है. ये ड्रोन की रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) को जाम कर देता है. इससे दुश्मन का ड्रोन या तो जमीन पर गिर जाएगा या फिर वापस अपनी सीमा में चला जाता है. कंपनी के अनुसार चिमेरा के स्टैटिक वर्जन की रेंज 4-5 किलोमीटर है. इसे किसी भी संवेदनशील बिल्डिंग या फिर रैली आदि में लगा सकते हैं, जहां कि वीवीआईपी मौजूद होते हैं. 


चिमेरा क्यों जरूरी है


सुमन महापात्रा ने बताया कि चिमेरा मैन पैड एंटी ड्रोन की कीमत 3-4 करोड़ रुपये है. देश की कुछ सुरक्षा एजेंसियां इसका इस्तेमाल वीवीआईपी सिक्योरिटी में करने लगी हैं. सुरक्षा कारणों से कंपनी ने सुरक्षा एजेंसियों के नाम उजागर करने से मना कर दिया. बॉर्डर पर पाकिस्तान से होने वाली ड्रग्स और हथियारों की स्मगलिंग अब ड्रोन के जरिए ही हो रही है. बीएसएफ (BSF) को इन ड्रोन्स को न्यूट्रेलाइज करने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में चिमेरा जैसे एंटी-ड्रोन सिस्टम काफी कारगर साबित हो सकते हैं. इसके अलावा ड्रोन से अटैक का खतरा भी लगातार बना रहता है. पिछले साल जम्मू एयरबेस पर ड्रोन से हमला किया गया था.


लाल-किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह, रैली और किसी बड़े आयोजनों में ड्रोन से हमले का खतरा हमेशा बना रहता है. विदेशों में तो ड्रोन से वीवीआईपी हस्तियों पर ड्रोन से अटैक की कई घटनाएं सामने भी आ चुकी हैं. यही वजह है कि ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) ने दिल्ली में चौथे पुलिस-अधीक्षक सम्मेलन का थीम साइबर-क्राइम और काउंटर ड्रोन रखा है. इस दौरान काउंटर ड्रोन प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया. दो दिवसीय (29-30 सितंबर) सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्घाटन गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किया. 


बीपीआरडी क्या है


ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) गृह मंत्रालय के अधीन एजेंसी है, जो कि देशभर की पुलिस और केंद्रीय अर्ध-सैनिक बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में विशेष रिसर्च और सुझाव पेश करती है. बीपीआरडी प्रदर्शनी में कई दूसरी कंपनियां भी शामिल हुई हैं. भोपाल की एक ऐसी ही कंपनी है, डीएसई टेक्नोलॉजी जिसने नीदरलैंड की एक कंपनी से करार किया है और 8-10 किलोमीटर की रेंज वाला एंटी-ड्रोन सिस्टम तैयार किया है. इस  टेक्टिकल ड्रोन डिटेक्शन एंड न्यूट्रलाइजेशन सिस्टम को किसी भी संवेदनशील हेडक्वार्टर या फिर सैन्य संस्थान की छत पर लगाकर डेस्ट्रेक्टिव-ड्रोन को मार गिराया जा सकता है.


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