Mansukh Hiren Murder Case: एंटीलिया कांड और मनसुख हिरेन हत्या मामले में एनआईए ने पूरी जांच कोर्ट के सामने चार्जशीट के तौर पर रख दी है. जिसमें बताया गया है कि आखिर बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने उसके दोस्त मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश क्यों रची. चार्जशीट के मुताबिक हम आपको बताते हैं क क्या थी पूरी कहानी और कैसे पहुंची मनसुख की हत्या तक बात.
इस चार्जशीट के मुताबिक सचिन वाजे डिटेक्टिव या एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर अपना नाम दुबारा बनाना चाहता था. वो कई सालों तक पुलिस विभाग से बाहर था और वापस पुलिस विभाग में आने के बाद उसे फिर अपना नाम सुपर कोप के तौर पर बनाना था और इस तरह शुरू हुई एंटीलिया कांड की साजिश की शुरुआत. वाजे ने एक बहुत बड़े बिजनेसमैन (मुकेश अंबानी) के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी स्कोर्पिओ कार को पार्क किया और उसमें धमकी भरा नोट भी छोड़ दिया और एंटीलिया कांड रच दिया.
इस पूरे कांड को करने से पहले सचिन वाजे ने अपने रुतबे का पूरा इस्तेमाल करके फर्जी पहचान से ट्राइडेंट होटल में 100 दिनों के लिए अपने लिए कमरा बुक किया था. इसके लिए सचिन वाजे ने सुशांत खामकर नाम से फर्जी आधार कार्ड भी दिया था. इस पूरे कांड की प्लानिंग और इसको अंजाम तक पहुंचाने के लिए सचिन वाजे 16 फरवरी से लेकर 20 फरवरी तक होटल में रुका, जो इस पूरी कांस्पिरेसी का हिस्सा था.
इस पूरे कांड को अंजाम देने के लिए सचिन वाजे ने MH02 AY2815 नाम की हरे रंग की मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियो कार को चुना. इस कार को सचिन वाजे और उसका स्टाफ लगातार इस्तेमाल कर रहा था. इन्वेस्टिगेशन में पाया गया कि 17 फरवरी को सचिन वाजे के कहने पर ही मनसुख हिरेन इस स्कॉर्पियो कार को ठाणे जिले से लेकर विक्रोली ब्रिज के नीचे पार्क की थी और फिर इसकी चाबी सीएसएमटी में लाकर सचिन वाजे को दी थी.
नंबर हटाया
इंवेस्टिगेशन में पता चला है कि 17 फरवरी को ही सचिन वाजे ने अपने पर्सनल ड्राइवर और ऑफिशियल ड्राइवर की मदद से उस स्कॉर्पियो कार को ठाणे जिले के अपनी सोसाइटी में पार्क कराया. इसके बाद सचिन वाजे ने स्कॉर्पियो कार के दोनों ओरिजनल नंबर प्लेट्स को हटाया और उसकी जगह पर बड़े उद्योगपति के सिक्योरिटी काफिले की ही एक कार के नंबर की प्लेट को स्कॉर्पियो पर लगवा दिया. उद्योगपति को सीधे तौर पर धमकाने के लिए ही उसी के काफिले की कार के नंबर को जानबूझकर इस तरह से इस्तेमाल किया गया है.
जांच में पता चला है कि सचिन वाजे ने जिलेटिन की छड़ें बरामद की और फिर उन्हें कार में डालकर उस कार को बड़े उद्योगपति के घर के पास ही पार्क कर दिया. इस कार में एक धमकी भरा खत भी रखा गया. इस स्कॉर्पियो कार को खुद सचिन वाजे ने ही पार्क किया था जबकि एक सफेद रंग की इनोवा कार, स्कॉर्पियो कार को एस्कॉर्ट कर रही थी. इस सफेद रंग की इनोवा कार को सचिन वाजे का ऑफिशियल ड्राइवर चला रहा था.
इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि जब बड़े उद्योगपति के सिक्योरिटी से जुड़े लोगों को इस पार्क की गई कार के बारे में पता चला और इसकी रिपोर्ट की गई तो सचिन वाजे खुद सबसे पहले वहां स्पॉट पर पहुंचा और उसने इन्वेस्टिगेशन का काम अपने हाथ मे ले लिया ताकि बड़े उद्योगपति और आम जनता को डराने के लिए और अपने मकसद को पाने के लिए बतौर इनवेस्टिगेटिव ऑफिसर वो इस पूरे मामले की जांच को भटका सके.
जैश उल हिंद ने ली जिम्मेदारी
27 फरवरी 2021 को एक टेलीग्राम चैनल जैश उल हिंद के नाम से पोस्ट आती है जो इस विस्फोटकों से भरी कार को पार्क करने की जिम्मेदारी लेती है. बड़े उद्योगपति को इसमे धमकाया जाता है कि "ये तो सिर्फ ट्रेलर था, पूरी पिक्चर अभी बाकि है". इसके बाद बड़े उद्योगपति से एक फिरौती की रकम मांगी जाती है ताकि आगे कोई बड़ी कारवाई ना हो. इसके जरिए सचिन वाजे, बड़े उद्योगपति से एक बड़ी रकम की उगाही करना चाहता था. ये तमाम बातें उस धमकी में कही गयी थी.
इन्वेस्टीगेशन में पता चला है कि मुंबई पुलिस के CP ऑफिस का व्हिकल एंट्री रजिस्टर जिसमे 1 मार्च 2021 से पहले की गाड़ियों के आने जाने की सभी सूचनाएं थी, उसे सचिन वाजे अपने साथ ले गया और उसे नष्ट कर दिया. लेकिन CCTV में मौजूद फुटेज की मदद से सचिन वाजे कब कहां आ रहे हैं, जा रहे हैं इसे कंफर्म किया गया है. जांच में पता चला है कि स्कॉर्पियो कार को मनसुख हिरेन ने सचिन वाजे को बेच दिया था और दिसंबर 2020 से ही वो सचिन वाजे के पास थी. लेकिन सचिन वाजे ने मनसुख हिरेन को इस जानकारी को महाराष्ट्र ATS को बताने से मना किया था.
जांच में पता चला है कि विनायक शिंदे ने नरेश गौर से 5 बेनामी सिम कार्ड लिए थे, जिन्हें सचिन वाजे को सौंपा गया था. इन पांच में से 3 सिम कार्ड्स को 15 मार्च को सचिन वाजे के ऑफिस केबिन में से बरामद किया गया था. इन्वेस्टीगेशन में पता चला है कि जब ठाणे के कलवा में CSM हॉस्पिटल में मनसुख हिरेन का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा था तब सचिन वाजे वहां खुद मौजूद था ताकि वो हर चीज पर नजर रख सके. वहीं विस्फोटकों से भरी कार को पार्क करने के बाद सचिन वाजे ने उन कपड़ो को जला दिया था, जिसे उसने कार पार्क करते वक्त पहना था. सचिन वाजे ने अपने मोबाइल फोन को भी डिस्ट्रॉय कर दिया था और CCTV की नजर से बचने के लिए इनोवा कार के साथ भी छेड़खानी की थी.
जिस जगह पर विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो कार पार्क की गई थी, सचिन वाझे ने उसी जगह पर जाकर दुबारा मुआयना किया था ताकि CCTV में इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को चेक किया जा सके. इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को डिस्ट्रॉय करने के लिए सचिन वाजे ने रियाजुद्दीन काजी से कहा कि वो इन तमाम जगहों से CCTV निकाल ले. 27 फरवरी को रियाजुद्दीन काजी सचिन वाजे की सोसाइटी से DVR लेकर आ गया लेकिन इस DVR को ATS को जांच के लिए कभी नही दिया गया. इसी DVR को NIA ने 15 मार्च को सचिन वाजे के दफ्तर से बरामद किया.
इसके अलावा ये भी पता चला है कि काजी एंटीलिया के पास स्थित निखिल विला गया और वहां से DVR/ CCTV को अपने कब्जे में गैर कानूनी तरीके से ले लिया. इनको डर था कि इसमे स्कॉर्पिओ कार कैद हुई होगी. सचिन वाजे, रियाजुद्दीन काजी और CIU के दूसरे अधिकारी ठाणे में मौजूद सद्गुरुस्टोर गए, जहां से उन्होंने फर्जी नंबर प्लेट्स बनवाए थे. वहां का DVR भी गैर कानूनी तरीके से कब्जे में लिया गया. सचिन वाजे ने DVR अपने कब्जे में लिया ताकि उसे नष्ट किया जा सके. इन सारे सबूतों को इन लोगों ने कुर्ला की मीठी नदी में नष्ट करने के लिए फेंक दिया.
वाजे का कहना मान रहा था मनसुख हिरेन
इस साजिश को पूरा करने के लिए मनसुख हिरेन सचिन वाजे के कहे अनुसार काम कर रहा था. उसने स्कॉर्पिओ की चोरी की झूठी FIR भी लिखवाई. जैसे ही इस मामले कि जांच सचिन वाजे से लेकर सीनियर अधिकारी को दी गई, उसके बाद से ही सचिन वाजे मनसुख हिरेन पर इस बात के लिए दबाव बनाने लगा कि वो इस पूरे मामले की जिम्मेदारी खुद पर ले ले. सचिन वाजे ने भरोसा दिलाया की उसे इस मामले से जल्दी निकाल लेंगे लेकिन मनसुख इस बात के लिए राजी नहीं हुआ. चूंकि मनसुख ही इकलौता शख्स था जिसे पता था कि उसने सचिन वाजे के कहने पर स्कॉर्पियो कार को विक्रोली हाईवे पर पार्क किया था और चाबी CST के पास सचिन वाजे को दिया था.
सचिन वाजे को ये डर था कि अगर मनसुख ने ये सब बता दिया तो उसका पर्दाफाश हो जाएगा. मनसुख इस मामले में सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा था और सचिन वाजे के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया था. इसके बाद सचिन वाजे पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा और दूसरे आरोपियों ने मिलकर मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश रची. जिसकी जिम्मेदारी पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को दी गई. इसके बाद प्रदीप शर्मा ने संतोष शेलार से संपर्क किया और पैसों के लिए हत्या करने का ऑफर दिया, जिसके लिए संतोष शेलार राजी हो गया.
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