मुंबई: एंटीलिया विस्फोटक कांड और मनसुख हिरेन केस की जांच कर रही NIA के सामने पहली बार सामने आए मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह से NIA ने करीब 4 घंटे पूछताछ की. परमबीर सिंह से एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों ने पूछताछ की और एंटीलिया कांड और मनसुख हिरेन प्रकरण में उनकी भूमिका और जानकारी के बारे में सवाल जवाब किए.
परमबीर सिंह ने एनआईए को बताया कि मुंबई पुलिस आयुक्त पद पर रहते हुए उन्होंने जो कुछ किया वह रूल बुक और नियमों के दायरे में रहते हुए किया. NIA अधिकारियों को परमबीर सिंह ने बताया कि बतौर पुलिस आयुक्त रहते हुए उन्होंने सचिन वाजे या किसी भी पुलिस अधिकारी या पुलिसकर्मी पर को कोई विशेष अधिकार नहीं दिया. चाहे वह सचिन वाजे की नियुक्ति का मामला हो या फिर मुंबई के हाई प्रोफाइल केस, उस पर एक जिम्मेदार पुलिस आयुक्त के तौर पर अपनी भूमिका निभाई.
नियमों में बदलाव नहीं
एनआईए सूत्रों के मुताबिक परमबीर सिंह ने सचिन वाजे की नियुक्ति को लेकर कहा कि उनके जरिए कोई नियमों में बदलाव नहीं किया गया बल्कि समिति की सहमति तत्कालीन ज्वॉइंट कमिश्नर की भी सहमति से वाजे को फोर्स में वापस लिया गया और यह सब नियमों के दायरे में किया गया है. परमबीर सिंह ने एनआईए के अधिकारियों को यह बताया कि उनके लगभग 32 साल के पुलिस करियर में कई हाई प्रोफाइल और बड़े केस आए जिस पर वह खुद निजी तौर पर निगरानी रखते थे, उस केस को अंजाम तक पहुंचाते थे.
उन्होंने कहा कि एंटीलिया प्रकरण एक हाई प्रोफाइल केस होने के नाते वह सचिन वाजे से लगातार रिपोर्ट लेते रहते थे. जो जानकारी सचिन वाजे मुझे बताते थे, बतौर पुलिस आयुक्त मैं उसे सुनता था. परमबीर सिंह ने यह भी बताया कि मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई सहित महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में बड़े पदों पर रहते हुए उन्होंने कभी नियमों का उल्लंघन नहीं किया.
उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस आयुक्त बनने से पहले ठाणे शहर के पुलिस आयुक्त रहते हुए ड्रग रैकेट, कॉल सेंटर रैकेट, दाऊद के भाई इकबाल कासकर की गिरफ्तारी जैसे बड़े केस हैंडल किए, जिस पर पुलिस महकमे से लेकर सरकार ने सराहना की. वहीं एनआईए ने परमबीर सिंह से करीब 4 घंटे पूछताछ की. हालांकि NIA अभी कई सवालों के जवाब चाहता है. NIA जल्द ही दूसरी बार परमबीर सिंह को पुछताछ के लिए बुला सकती है.
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