नई दिल्ली: एंटीलिया मामले में मुंबई एटीएस और केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार के बीच तलवारें खींचती नजर आ रही है. मुंबई एटीएस जिस हिरेन मनसुख हत्याकांड में एनआईए द्वारा गिरफ्तार इंस्पेक्टर सचिन वाजे को रिमांड पर लेने के लिए कह रहा है वह केस भी केंद्र सरकार जांच के लिए एनआईए को सौंप चुकी है.
ऐसे में दोनों एजेंसियों के बीच की लड़ाई 25 मार्च को कोर्ट के सामने देखने को मिल सकती है. उधर मनसुख हिरेन को किसने मारा इस बाबत ठोस सबूत एकत्र किए जा रहे है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को जो सबूत दिए गए हैं उस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय सीबीआई को सीधे जांच करने के लिए नहीं कह सकता.
एनआईए सूत्रों के मुताबिक इस मामले की अब तक की जांच के दौरान गिरफ्तार इंस्पेक्टर सचिन वाजे का एक फर्जी आधार कार्ड भी मिला है आरोप है कि इस आधार कार्ड के जरिए महंगे होटलों में कई कमरे बुक कराए जाते थे और उन कमरों में रिश्वत की रकम वसूल की जाती थी. अब एनआईए जानना चाहता है कि होटलों के इन कमरों की पेमेंट कौन करता था और कैसे करता था लिहाजा एनआईए इस मामले में कई होटलों के कर्मचारियों से भी पूछताछ करने जा रही है. एनआईए ने इस बाबत अब तक की जांच में अनेकों वीडियो फुटेज भी एकत्र किए हैं जिनके आधार पर जांच आगे बढ़ाई जा रही है और कुछ लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है
एंटीलिया मामले के कथित मुख्य गवाह हीरेन मनसुख को जिन लोगों ने फोन करके मौत के घाट उतारने के लिए बुलाया था उन लोगों को तो मुंबई एटीएस में गिरफ्तार करने का दावा किया है लेकिन हीरेन मनसुख को किसने मारा इस बारे में मुंबई एटीएस ठोस सबूत इकट्ठे कर रही है जिससे जब ये मामला जांच के लिए एनआईए तक जाय तो एनआईए उस पर उंगली ना उठा सके.
यही कारण है कि मुंबई एटीएस ने आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हीरेन मनसुख को किसने मारा इस बाबत कुछ नहीं कहा सूत्रों का कहना है कि मुंबई एटीएस इस मामले में अपनी टांग अढ़ा सकता है लेकिन हिरेन मनसुख हत्याकांड की जांच अब अपने हाथ में नहीं ले सकती क्योंकि एनआईए एक्ट की धारा-8 के तहत यदि किसी मामले के तार जिसकी जांच एनआईए द्वारा की जा रही है किसी दूसरे मामले से जुड़े मिलते हैं तो उस मामले की जांच भी एनआईए कर सकता है.
दूसरी तरफ इस पूरे मामले में राजनीति भी पूरी तरह से गरमा गई है और राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आज महाराष्ट्र पुलिस में ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर चल रहे कथित घोटाले के कथित सबूतों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय पहुंचे और उन्होंने मामले की फाइल गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों को दी और उनसे इस बाबत सीबीआई जांच कराने की मांग की.
गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय इस मामले में केवल शिकायत सुन सकता है लेकिन उस शिकायत को जांच के लिए सीधे सीबीआई को नहीं भेज सकता क्योंकि सीबीआई को जांच के आदेश केवल कोर्ट द्वारा ही दिए जा सकते हैं या फिर ऐसे मामले जिनमें राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की गई हो और केंद्र सरकार ने उस सिफारिश को मान लिया हो लेकिन महाराष्ट्र के मामले में तो महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई जांच का कंसेंट ही विदड्रा किया हुआ है ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय सीधे तौर पर मामले की जांच सीबीआई को नहीं सौंप सकता. फिलहाल इस पूरे मामले को लेकर केंद्र और राज्य के बीच घमासान मचा हुआ है और अभी भी इस मामले का यक्ष प्रश्न अपनी जगह पर है कि पूरे मामले का मास्टर माइंड कौन है.
यह भी पढ़ें: