नई दिल्ली: किसी भी सरकार को अध्यादेश तभी लाना चाहिए जब बहुत जरूरी हो. कोई भी अध्यादेश बहुत ही सावधानी और असामान्य स्थिति में ही लाया जाना चाहिए. यह टिप्पणी की है राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने. वेंकैया नायडू ने यह बात राज्यसभा में तब कही जब नेशनल कैपिटल टेरिटरी संशोधन बिल पर चर्चा चल रही थी और विपक्षी सांसदों ने कहा कि एनडीए 2 सरकार के दौरान लगातार अध्यादेश लाए जा रहे हैं और यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है.
नेशनल कैपिटल टेरिटरी संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेसी सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि ऐसे नियम हैं, जिनमें कहा गया है कि अध्यादेश कभी कभी ही लाए जाने चाहिए और जब तक बहुत ज़रूरी न हो अध्यादेश नहीं लाया जाना चाहिए.
शक्ति सिंह गोहिल के बाद सीपीआई सांसद विनय विस्वम ने गोहिल की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कहा कि एनडीए 1 के कार्यकाल में 42 अध्यादेश लाए गए, जबकि यूपीए 1 और 2 में कुल 59 अध्यादेश लाए गए थे. लेकिन एनडीए 2 में अब तक 77 अध्यादेश लाये जा चुके हैं. लिहाज़ा सरकार को ये निर्देष दिया जाए कि जब तक स्थितियां असामान्य ना हो इस तरीके से अध्यादेश लाने से बचा जाए.
अध्यादेश का मुद्दा उठने के बाद राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने कहा, "मेरा भी यही मानना है कि जब तक बहुत ज़रूरी न हो अध्यादेश नहीं लाये जाने चाहिए. अध्यादेश बहुत ही सावधानी और असमान्य स्थिति में लाये जाने चाहिए. लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान हमने देखा कि संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है, अध्यादेश लाये जाते हैं, पर उसके बाद भी वो अध्यादेश सदन में ही आता है, जिस पर चर्चा करने के बाद ही उसको पास किया जाता है."
वेंकैया नायडू ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को भी इस पर ध्यान रखना होगा कि अध्यादेश कम से कम इस्तेमाल हों. लेकिन ये भी नहीं होना चाहिए कि आज हम सत्ता में हैं तो अध्यादेश जारी करेंगे और जब सत्ता से बाहर होते हैं तो अध्यादेश का विरोध करते हैं. सभी राजनीतिक दलों को इसका ध्यान रखना होगा.
यह सारी चर्चा उस दौरान हुई जब राज्यसभा में नेशनल कैपिटल टेरिटरी संशोधन बिल पर चर्चा चल रही थी. केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने सदन को बताया कि यह अध्यादेश सिर्फ इस वजह से लाया गया क्योंकि 31 दिसंबर 2020 को पुराने कानून की मियाद खत्म हो रही थी और उस दौरान संसद का सत्र कोरोना की वजह से नहीं बुलाया गया था. ऐसे हालातों में इस अध्यादेश को लाकर दिल्ली के लोगों को राहत दी गई और अब इसको बिल के रूप में सदन में पेश किया गया है.
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