कर्नाटक: बहुमत में फेल होने के बावजूद बीजेपी के लिए है खुशी का दिन
इस्तीफे से पहले बीएस येदुरप्पा ने भावुक भाषण दिया. येदुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस-जेडीएस ने जनता के साथ धोखा किया, चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ प्रचार किया और बाद एक दूसरे के साथ आ गए.
नई दिल्ली: कर्नाटक में चल रहे लंबे सियासी नाटक पर आज ब्रेक लग गया. बहुमत परीक्षण के बजाए आज मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के साथ ही दो दिनों के भीतर ही बीजेपी की सरकार गिर गई. आपको बता दें कि अब चुनाव में तीसरे नंबर पर रही जेडीएस के कुमारस्वामी कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बनेंगे. इस्तीफे से पहले बीएस येदुरप्पा ने भावुक भाषण दिया. येदुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस-जेडीएस ने जनता के साथ धोखा किया, चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ प्रचार किया और बाद एक दूसरे के साथ आ गए.
राज्यपाल को इस्तीफा सौंपेंगे येदुरप्पा
कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं इनमें से 222 पर ही चुनाव हुए थे. इस चुनावों में बीजेपी को 104 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिली थीं. रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने हाथ मिला दिया था. लेकिन राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया था. इसके बाद येदुरप्पा मुख्यमंत्री बने और राज्यपाल ने उन्हें 15 दिनों में बहुमत साबित करने का समय दिया. लेकिन इसी बीच कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने कल ही इस पर फैसला सुनाते हुए बीजेपी से कर्नाटक में बहुमत साबित करने के लिए कहा था. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद शनिवार को आयोजित बहुमत परीक्षण के दौरान येदुरप्पा बहुमत के लिए आवश्यक सदस्यों की संख्या नहीं जुटा सके. विधानसभा में अपने भाषण के बाद उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की और वह राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने राजभवन चले गए.
आंकड़ों पर एक नजर
साल 2013 में कर्नाटक में क्या हुआ था?
साल 2013 में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी. लेकिन अगले ही साल 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत हुई. लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 सीटों में से बीजेपी ने 17 सीटें और कांग्रेस ने सिर्फ नौ सीटें जीती थी. जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 40 सीटें मिली थीं.
साल 2008 के पहले कर्नाटक में क्या हुआ था?
साल 2008 में बीजेपी ने कर्नाटक में सरकार बनाई थी और 2009 का लोकसभा चुनाव हार गयी थी. इस हिसाब से देखा जाए तो 2018 में कर्नाटक जीतने वाले को 2019 में लोकसभा चुनाव गंवाना पड़ सकता है.
साल 2004 में जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) ने कर्नाटक में सरकार बनाई थी, लेकिन इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जेडीएस को हार का सामना करना पड़ा था.
साल 1999 में कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बनाई थी, लेकिन अगले साल यानी 1999 को हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई थी.
साल 1994 में जेडीएस ने कर्नाटक में सरकार बनाई थी, लेकिन साल 1998 के लोकसभा चुनाव में हार गई थी.
साल 1989 में कांग्रेस कर्नाटक में जीती, लेकिन साल 1989 में हार गई.