नई दिल्ली: एक शादीशुदा समलैंगिक जोड़े ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्पेशल मैरेट एक्ट 1954 को चुनौती दी है. उसका कहना है कि मैरेज एक्ट के प्रावधान उनकी शादी के रजिस्ट्रेशन की इजाजत नहीं देते हैं. जस्टिस अनुशिवारमण की अदालत ने उनकी याचिका को स्वीकार कर केंद्र और केरल सरकार को नोटिस जारी किया है.


याचिकाकर्ता जोड़े का क्या है तर्क ? 


नीकेश और सोनू की मुलाकात 2018 में हुई थी. एक-दूसरे से मिलने के बाद दोनों में प्यार हुआ. प्रेम संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए उन्होंने शादी का फैसला किया. मगर सामाजिक प्रतिक्रिया के डर से उन्होंने मंदिर में गुप्त तरीके से शादी रचा ली. अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का इल्म था कि धार्मिक संस्थान उनकी शादी का सर्टिफिकेट जारी नहीं करेंगे. इसलिए उन्होंने स्पेशल मैरेज एक्ट 1954 के प्रावधानों को चुनने का फैसला किया.


समलैंगिक जोड़े ने कोर्ट से लगाई गुहार


याचिकाकर्ता जोड़े ने अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट के 2015 में दिये गये फैसले का हवाला दिया है. उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत उन्हें शादी और रजिस्ट्रेशन की इजाजत दी जाए. स्पेशल मैरिज एक्ट सिर्फ विपरीत जोड़ों को शादी की इजाजत देता है. मगर समलैंगिक जोड़ों को इसकी इजाजत नहीं है. उनका दावा है कि स्पेशल मैरेज एक्ट 1954 के प्रावधान समलैंगिक जोड़े के मूल अधिकारों का हनन करते हैं. समान लिंग के बीच शादी को अस्वीकार करना समानता और सम्मान के अधिकारों का उल्लंघन है.


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