नई दिल्ली: देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन का सिलसिला जारी है. लॉकडाउन के तीन चरण हो चुके हैं आज से देश लॉकडाउन 4.0 में प्रवेश कर रहा है. लगभग पिछले 2 महीनों से कारोबार पूरी तरह से ठप्प पड़ गए हैं. व्यापारियों के लिए मुसीबतों का अंबार खड़ा हो गया है. पिछले कुछ दिनों में राजधानी दिल्ली के अन्य बाजारों के स्थानीय व्यापारी संगठनो ने CTI (Chamber of Trade and Industry) के साथ मिलकर दिल्ली सरकार को अन्य प्रस्ताव दिए और यह दलील की, कि जल्द से जल्द दिल्ली के अन्य बाजार खुलवा दिए जाएं.
कुछ दिनों में खुल सकते हैं दिल्ली के बाजार
इनमें दिल्ली के कई प्रसिद्ध थोक और रिटेल बाजार शामिल हैं जैसे कि नया बाजार, तिलक बाजार, खड़ी बाओली, कश्मीरी गेट, करोल बाग, इत्यादि. दिल्ली सरकार ने भी सारे सुझावों का संज्ञान लेते हुए ऑड इवन तरीके से बाजारों को खोलने की बात सामने रखी थी. वही ग्रह मंत्रालय ने भी रविवार को बाजारों के खुलने या ना खुलने का जिम्मा राज्य सरकारों को सौंप दिया. ऐसे में यह आशंका लगाई जा सकती है कि कुछ दिनों में एक बार फिर दिल्ली के बड़े बाजार खुल सकते हैं. इसके चलते ABP news की टीम ने यह जानने का प्रयास किया कि किस तरीके से हो रहे हैं यह अन्य बाजार तैयार और क्या है जमीनी सच्चाई?
व्यापारियों को राहत नहीं
CTI के संयोजक बृजेश गोयल का कहना है कि लॉकडउन का सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारी वर्ग को हुआ है. व्यापारी पर असर पड़ने से मजदूर से लेकर वर्कर सब पर असर पड़ा है. व्यापारियों के लिए पिछले किसी भी लॉकडाउन में राहत की बात नहीं की गई. तमाम परेशानियों से व्यापारी वर्ग परेशान है. आर्थिक स्थिति ऐसे में काफी बिगड़ गई है और आगे और न बिगड़े ऐसे में बाजार खुलना बेहद ही जरूरी है.
उनका कहना यह भी है कि अन्य डॉक्टर और विशेषज्ञ भी यही कह रहे हैं कि कोरोना को खत्म होने में एक साल, दो साल कितना भी समय लग सकता है. इसी लिए इतने लंबे समय तक व्यापार या जिंदगी पर रोकथाम नहीं लगा सकते. इस के साथ जीने की आदत डालनी पढ़ेगी. व्यापारियों ने 50 दिन काम बंद करके बहुत मुश्किल से जीवन व्यापन किया है. बेरोजगारी, भुखमरी और कर्जदारी की स्थिति और ना बड़े इसीलिए अब कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी पड़ेगी और एक बार फिर अपना काम शुरू करना पड़ेगा.
इसीलिए वह कहते हैं कि बाजारों का खुलना बेहद ही जरूरी है. लेकिन एक बड़ी बात इन बाजारों के खुलने पर जो खड़ी होती है वो यह है कि दिल्ली के अन्य थोक बाजार या फिर मशहूर रिटेल बाजार बेहद ही तंग गलियों में हैं. ऐसी तंग गलियों में आखिर कार सोशल डिस्टेंसिंग कैसे की जाएगी इसपर बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है.
इस पर गोयल कहते हैं कि तमाम चीजों पर कड़ी नजर रखी जायेगी. एक्सेस कंट्रोल, एंट्री गेट, सैनिटाइजेशन, मास्क, थर्मल स्क्रीनिंग इन सब का खास ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने हमें बताया कि व्यापारियों ने सोशल डिस्टेंसिंग बाजारों में हो लाये इसके लिए सरकार को सुझाव भी भेजे थे. सुझाव में उनका कहना था कि सभी रिटेल दुकानें खुलनी चाहिए और थोक के बाजार ऑड इवन नियम का पालन करते हुए खुलने चाहिए, ऐसे में कोई परेशानी नही होगी. सरकार जो भी दिशा निर्देश देगी उसी हिसाब से ही कदम उठाए जाएंगे.
उन्होंने कहा, "हमे भी पता है कि शुरू के 15, 20 या एक महीना कस्टमर नही आएगा, लेकिन जो व्यापारी पिछले 50 दिन से घर बैठे हैं वो कम से कम एक बार फिर अपना व्यापार धीरे धीरे शुरू करने के प्रयास में तो जुट जाएगा. पुरानी दिल्ली के बाजारों में दीमक और चूहों की बड़ी समस्या है.''
व्यापारी संगठन हो रहे हैं COVID तैयार
कश्मीरी गेट ऑटोमोबाइल मार्किट के अध्यक्ष विष्णु भार्गव ने हमे बताया कि बाजार में लगभग 10000 से भी ज्यादा दुकाने हैं. अपने गोडाउन में उन्होंने हमें अपनी पूरी तैयारियों का एक दौरा भी दिया. उन्होंने बताया कि कश्मीरी गेट में 5 एसोसिएशन वर्कर स्प्रेयर से disinfectant सुबह से ही बाजार खुलने से पहले करने लगेंगे. थर्मल स्कैनर्स उपलब्ध कराए गए हैं.
बाजार खुलने के बाद जो भी एंटर करना चाहेगा उसे स्कैन किया जाएगा कि कही वो संक्रमित तो नहीं है. मास्क्स हजारों की संख्या में दुकानदारों और बाहर के लोगों दोनों में ही बांटे जाएंगे खास कर की उनको जिनके पास मास्क नहीं होंगे. हैंड सैनिटाइजर भी सैकड़ों बोतले मंगवा ली गयी हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल भी रखने की पूरी तैयारियां की जाएंगी. उनका कहना है कि सरकार के दिशा निर्देश का हर तरीके से वह पालन करेंगे.
बाजार के दुकानदारों की क्या है राय?
दिल्ली की अनाज मंडी, नया बाजार में हमने एक डाल की थोक दुकान के मिल्क नीरज गुप्ता से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि बाजार में सोशल डिस्टेंसिंग कर पाना बेहद ही मुश्किल लगता है. लॉकडाउन के तीसरे चरण तक भी नया बाजार बंद नही था. इन्हीं दिनों में साफ तौर से यह देख जा सकता था कि किस तरीके से लोग समझदारी से काम न लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का साफ तौर से उल्लंघन करते हैं.
वो कहते हैं, "यहां पब्लिक बहुत आ जाती है उन्हें सम्भालना मुश्किल हो जाता है. प्रशासन की तरफ से कमी, न काम हो पा रहा है और न कुछ हो पा रहा है. यहां सम्भालना बहुत मुश्किल है, बहुत दिक्कतें आएंगी. लोग बिल्कुल नहीं समझते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग नहीं करते, अंदर आ जाते हैं."
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