Central Government: लोकसभा में गुरुवार (23 मार्च) को एप्रोप्रिएशन बिल यानी विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) को नौ से भी कम मिनट में पारित कर दिया गया. इस बिल पर सदन में कोई बहस भी नहीं हुई. इस बिल के पास होने के साथ ही केंद्र सरकार का अगले वित्तीय वर्ष के लिए 45 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का रास्ता साफ हो गया है.


इस दौरान सदन की कार्यवाही शोरगुल के बीच जारी रहीं. सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य मंत्री मौजूद रहे. लोकसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने 'मोदी-अडानी भाई-भाई' के नारे लगाने के साथ अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर जेपीसी से जांच कराने की मांग की.


ध्वनिमत से पारित हो गया बिल


लोकसभा की कार्यवाही के दौरान करीब शाम 6 बजे स्पीकर ओम बिरला ने डिमांड्स फॉर ग्रांट्स के लिए सदस्यों के कई प्रस्तावों रो एकसाथ रखते हुए वोट करवाया. इन सभी को ध्वनिमत से नकार दिया गया. विपक्षी दलों के नेताओं ने फाइनेंस बिल को इस तरह से पेश किए जाने का विरोध किया. बजट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 45 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए ये खर्च 41.8 करोड़ रुपये था. जो 2021-22 से 3.9 लाख करोड़ रुपये ज्यादा था. 


क्या होता है एप्रोप्रिएशन बिल?


विनियोग विधेयक को एप्रोप्रिएशन बिल भी कहा जाता है. इस बिल के अंतर्गत केंद्र सरकार को भारत की संचित निधि यानी कंसोलिडेटेड फंड से राशि निकलाने का अधिकार मिलता है. इस राशि का इस्तेमाल सरकार वित्त वर्ष के लिए होने वाले खर्चों को संभालने के लिए करती है. 


बजट पर चर्चा करने के बाद केंद्र सरकार की ओर ग्रांट की मांग की जाती है. केंद्र सरकार को ग्रांट देने के लिए एप्रोप्रिएशन बिल पेश किया जाता है. जिस पर वोटिंग होती है. इस बिल के पास होने पर सरकार को अपनी योजनाओं और कामकाज के लिए भारत की संचित निधि से रुपये निकालने का अधिकार मिल जाता है.


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