अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई करने वाली टीम का हिस्सा रहे आर्कियोलॉजिस्ट अरुण कुमार शर्मा का निधन
Dr Arun Kumar Sharma Dies: 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपने आवास पर अंतिम सांस ली.
Dr Arun Kumar Sharma Passed Away: पद्मश्री विजेता मशहूर आर्कियोलॉजिस्ट (पुरातत्वविद्) डॉ. अरुण कुमार शर्मा का बुधवार (28 फरवरी) देर रात 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपने घर पर अंतिम सांस ली. डॉ. अरुण कुमार शर्मा उस टीम के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे, जिसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर राम जन्मभूमि अयोध्या स्थल की खुदाई की थी और रिपोर्ट पेश करके कहा था कि मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को तोड़ा गया था.
डॉ. अरुण कुमार शर्मा को 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था. 12 नवंबर 1933 को रायपुर जिले के चंदखुरी में जन्मे शर्मा ने 1958 में सागर विश्वविद्यालय से एमएससी (मानव विज्ञान) कंप्लीट की थी और एक साल बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) में शामिल हो गए थे.
कोर्स के दौरान किया था टॉप, मिला था गोल्ड मेडल
ASI में शामिल होने के बाद उन्होंने आर्कियोलॉजी (पुरातत्व) में दो साल का डिप्लोमा किया. वह इस कोर्स में ऑल इंडिया टॉपर रहे और मौलाना अबुल गोल्ड मेडल जीता. 33 वर्षों की सर्विस के बाद वह 1992 में एएसआई नागपुर के सुपरिंटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट के पद से रिटायर्ड हुए थे. 1994 से वह छत्तीसगढ़ सरकार के पुरातत्व सलाहकार थे.
एक हफ्ते में जोड़ दी थी 67 टुकड़ों में टूटी मूर्ति
वर्ष 2016 में 83 वर्ष की आयु में शर्मा एक बार फिर चर्चा में आए थे. दरअसल, तब इन्होंने अपनी टीम के साथ नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिले में ढोलकल पर्वत पर 67 टुकड़ों में टूटी गणेश जी की मूर्ति का एक सप्ताह के अंदर जीर्णोद्धार कर दिया था. इस मूर्ति को नक्सलियों ने पहाड़ी से नीचे फेंककर खंडित कर दिया था.
सीएम विष्णुदेव साय ने निधन पर जताया दुख
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ''सिरपुर (छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल) की खुदाई उनके नेतृत्व में की गई थी. राम सेतु और अयोध्या के राम मंदिर के पुरातात्विक विषयों पर उनकी राय अहम थी. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार एवं शुभचिंतकों को ताकत प्रदान करें. पुरातत्व के क्षेत्र में डॉ. अरुण शर्मा जी का योगदान सदैव याद रखा जाएगा.”
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