Royal Gold Medal: रॉयल गोल्ड मेडल से नवाजे गए बालकृष्ण दोशी, पीएम मोदी ने दी बधाई
Indian Architect Balkrishna Doshi: उनकी डिजाइन की हुई इमारतें भारत की वास्तुकला, जलवायु, स्थानीय संस्कृति और शिल्प की परंपराओं पर गहरी छाप छोड़ती हैं
Indian Architect: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘रॉयल गोल्ड मेडल 2022’ के विजेता भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि वास्तुकला की दुनिया में उनका बहुत बड़ा योगदान है. रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (आरआईबीए) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि दोशी को ‘रॉयल गोल्ड मेडल 2022’ प्रदान किया जाएगा. यह वास्तुकला के क्षेत्र में दुनिया के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है.
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘रॉयल गोल्ड मेडल 2022 जीतने के लिए जाने माने वास्तुकार बालकृष्ण दोशी से मैंने बात की और उन्हें बधाई दी. वास्तुकला की दुनिया में उनका बहुत बड़ा योगदान है. उनकी कृतियों की रचनात्मकता, अनूठेपन और विभिन्न प्रकृति के लिए दुनिया भर में सराहना होती है.’’
रॉयल गोल्ड मेडल को व्यक्तिगत रूप से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा अनुमोदित किया जाता है और इसे ऐसे व्यक्ति या लोगों के समूह को दिया जाता है, जिन्होंने वास्तुकला की उन्नति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है. चौरानवे वर्षीय दोशी ने अपने सात दशकों के करियर में पूरे भारत में वास्तुकला के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘रॉयल गोल्ड मेडल 2022’ के विजेता भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि वास्तुकला की दुनिया में उनका बहुत बड़ा योगदान है.
रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (आरआईबीए) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि दोशी को ‘रॉयल गोल्ड मेडल 2022’ प्रदान किया जाएगा. यह वास्तुकला के क्षेत्र में दुनिया के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है. प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘रॉयल गोल्ड मेडल 2022 जीतने के लिए जाने माने वास्तुकार बालकृष्ण दोशी से मैंने बात की और उन्हें बधाई दी. वास्तुकला की दुनिया में उनका बहुत बड़ा योगदान है. उनकी कृतियों की रचनात्मकता, अनूठेपन और विभिन्न प्रकृति के लिए दुनिया भर में सराहना होती है.’’
रॉयल गोल्ड मेडल को व्यक्तिगत रूप से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा अनुमोदित किया जाता है और इसे ऐसे व्यक्ति या लोगों के समूह को दिया जाता है, जिन्होंने वास्तुकला की उन्नति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है. चौरानवे वर्षीय दोशी ने अपने सात दशकों के करियर में पूरे भारत में वास्तुकला के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी है और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है.
दोषी की डिजाइन की हुई इमारतें वास्तुकला और स्थानीय संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण
उनकी डिजाइन की हुई इमारतें भारत की वास्तुकला, जलवायु, स्थानीय संस्कृति और शिल्प की परंपराओं की गहरी छाप छोड़ते हुए स्थानीय संस्कृति और वर्तमान आधुनिकता को जोड़ती हैं. उनकी परियोजनाओं में प्रशासनिक और सांस्कृतिक सुविधाएं, आवास विकास और आवासीय भवन शामिल हैं. दोशी के प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि वह अपनी दूरदर्शी शहरी नियोजन और सामाजिक आवास परियोजनाओं के साथ-साथ भारत और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में एक अतिथि प्रोफेसर के रूप में वास्तुकला और आर्किटेक्चर की शिक्षा के क्षेत्र में अपने काम के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं.
उनकी डिजाइन की हुई इमारतें भारत की वास्तुकला, जलवायु, स्थानीय संस्कृति और शिल्प की परंपराओं की गहरी छाप छोड़ते हुए स्थानीय संस्कृति और वर्तमान आधुनिकता को जोड़ती हैं. उनकी परियोजनाओं में प्रशासनिक और सांस्कृतिक सुविधाएं, आवास विकास और आवासीय भवन शामिल हैं.
दोशी के प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि वह अपनी दूरदर्शी शहरी नियोजन और सामाजिक आवास परियोजनाओं के साथ-साथ भारत और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में एक अतिथि प्रोफेसर के रूप में वास्तुकला और आर्किटेक्चर की शिक्षा के क्षेत्र में अपने काम के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं.