मुंबई: शिवसेना ने बुधवार को ईंधन के बढ़े हुए दामों को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला. शिवसेना ने पूछा कि दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम में गिरावट के बावजूद देश में उनके दाम क्या बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जापान से लिए गए कर्ज के ब्याज को चुकाने के लिए ज्यादा रखे गए हैं. केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनडीए के घटक शिवसेना ने दो दिन पहले कहा था कि ईंधन के ज्यादा दाम देश में किसानों की खुदकुशी का मुख्य कारण है.


शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में कहा गया, ‘‘जो लोग सरकार में हैं वह महंगाई पर बात नहीं करना चाहते और न ही दूसरों को बात करने देना चाहते हैं. ईंधन के दाम आसमान पर पहुंचने का दर्द आम आदमी झेल रहा है. सरकार में बैठे लोग अगर पिछले चार महीनों के दौरान इसके दाम में 20 बार की बढ़ोतरी का समर्थन करते हैं तो यह सही नहीं है.’’ इससे पहले पार्टी ने केंद्रीय मंत्री अलफोंस कन्ननथानम के उस बयान को आम आदमी का अपमान बताया था और कहा था कि बिना योग्यता और लोगों से जुड़ाव वाले लोग देश चला रहे हैं.


सामना के संपादकीय में बुधवार को कहा गया है कि जो लोग यह कह रहे हैं कि पिछली सरकार मौजूदा सरकार से बेहतर थी, उन्हें दोषी ठहराया गया है. शिवसेना ने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस के शासन में कच्चे तेल का दाम 130 डॉलर प्रति बैरल था लेकिन इसके बावजूद पेट्रोल और डीजल का दाम कभी भी क्रमश: 70 और 53 रुपये प्रतिलीटर से ज्यादा नहीं हुआ. इसके बावजूद विपक्ष सड़कों पर बढ़ी कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रहा था.’’


‘‘आज जब कच्चे तेल का दाम 49.89 डॉलर प्रति बैरल है लेकिन इसके बावजूद लोगों को कम कीमतों का फायदा नहीं मिल रहा. इसके बजाय पेट्रोल 80 रुपये और डीजल 63 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है. यह लोगों को लूटने जैसा है.’’