(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या हिंदुओं से ज्यादा बच्चे पैदा कर सत्ता के लिए आबादी बढ़ा रहे मुसलमान? जानें ऐसे कई मिथकों के जवाब
भारत में मुस्लिमों को लेकर कई भ्रम हैं. लोकसभा चुनाव के बीच ये भ्रम एक बार फिर देश की सियासी हवा में घुल गए हैं. कहा जा रहा है कि मुसलमान साजिशन सत्ता के लिए आबादी बढ़ा रहे हैं.
Muslim Population In India: वैशाख की भीषण गर्मी के बीच जारी लोकसभा चुनाव अपने पूरे सियासी शबाब पर है. विकास के नाम से शुरू हुए भाषण हिंदु-मुसलमान से पाकिस्तान तक पहुंच गए हैं. इनके सबके बीच धानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट से नई बहस शुरू हो गई है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए आश्चर्य जताते हुए कहा कि देश में मुस्लिम कैसे असुरक्षित महसूस कर सकते हैं, खासकर तब जब उनकी आबादी में कथित तौर पर 45 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.
इन सबके बीच देश की सियासी हवा में भारत में मुस्लिमों की आबादी को लेकर ऐसे कई मिथक फैल गए हैं, जिनसे हिंदुओं में मुसलमानों के खिलाफ भय और शत्रुता का माहौल सा बन गया है. पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने Population : Are Muslims Overtaking the Hindus में आंकड़ों के जरिए इन्हीं मिथकों को दूर करने की कोशिश की है...
मिथ नंबर- 1: मुसलमान बहुत अधिक बच्चे पैदा करते हैं और जनसंख्या विस्फोट के लिए वे ही जिम्मेदार हैं?
- ये सही है कि मुस्लिमों में परिवार नियोजन (FP) निचले स्तर पर है. यह सिर्फ 47% है. इतना ही नहीं मुस्लिमों में टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) 2.3% है. TFR का मतलब एक महिला द्वारा उसके जीवनभर में जन्में बच्चों की औसत संख्या है.
- लेकिन तथ्य ये भी है कि हिंदू भी इस मामले में पीछे नहीं है. हिंदुओं में FP 58 प्रतिशत है और टोटल फर्टिलिटी रेट भी 2.0 है. इन तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
- 1951 से 2011 की जनगणना के बीच मुस्लिमों की आबादी 13.6 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि हिंदुओं की आबादी में 67.6 करोड़ की वृद्धि हुई है. यानी 'जनसंख्या विस्फोट' में हिंदुओं का योगदान अधिक है. यह मुस्लिमों से करीब 5 गुना ज्यादा है.
- मुस्लिम और हिंदुओं के बीच आबादी 26.7 करोड़ से 80.8 करोड़ बढ़ी है.
- यानी ये मिथ की मुस्लिम हिंदुओं से आगे निकल रहे हैं, पूरी तरह गलत है.
मिथ- 2: मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि जनसांख्यिकी संतुलन (डेमोग्राफिक बैलेंस) बिगाड़ रही
- भारत में जनसांख्यिकीय अनुपात मुस्लिमों में बढ़ा है. यह 1951 में 9.8 से 2011 में 14.2 हो गया. 60 साल में मुस्लिमों के अनुपात में 4.4 की वृद्धि दिख रही है. वहीं, हिंदुओं का अनुपात 84.2% से घटकर 79.8% हो गया.
- मुसलमान परिवार नियोजन को हिंदुओं से ज्यादा तेजी से अपना रहे हैं.
मिथ-3: राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिए मुसलमान साजिश के तहत हिंदुओं की तुलना में आबादी बढ़ा रहे हैं
- कुरैशी के मुताबिक, ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिए मुसलमान हिंदुओं से आगे निकलने के लिए संगठित साजिश कर रहे हैं और कुछ सालों में वे हिंदुओं की आबादी से आगे निकल जाएंगे.
- जबकि कई दक्षिणपंथी नेता हिंदुओं से 8-10 बच्चे पैदा करने की अपील कर चुके हैं.
- सच ये है कि किसी भी मुस्लिम नेता या स्कॉलर ने हिंदुओं से आगे निकलने के लिए मुस्लिमों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील नहीं की.
- यहां तक कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह और अजय कुमार के गणितीय मॉडल कहता है कि मुसलमान कभी हिंदुओं से आबादी के लिहाज से आगे नहीं निकल सकता.
मिथ- 4: मुस्लिम आबादी बढ़ाने के लिए बहुविवाह का इस्तेमाल कर रहे
- हम पांच, हमारे पच्चीस. हम चार, हमारे चालीस. क्या ऐसे नारे सुनने को मिलते हैं, क्या कोई मुस्लिम ऐसा कहता सुना गया है.
- इतना ही नहीं भारत सरकार की 1975 की स्टडी में सामने आया कि सभी समुदायों में बहुविवाह की प्रथा रही है. आंकड़ों के मुताबिक, मुस्लिमों में यह सबसे कम है.
- मिनिस्ट्री ऑफ सोशल वेलफेयर की 1974 की रिपोर्ट के मुताबिक, आदिवासियों में बहुविवाह 15.25 प्रतिशत, बुद्ध समुदाय में 9.7 प्रतिशत, जैन में 6.72 प्रतिशत, हिंदुओं में यह 5.80 प्रतिशत है. जबकि मुस्लिमों में यह 5.70 प्रतिशत है.
- आंकड़ों पर नजर डालें तो बहुविवाह सांख्यिकीय रूप से असंभव है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में हर 1000 पुरुषों पर 940 महिलाएं थीं. जबकि 2020 में यह आंकड़ा 922 पर पहुंच गया. शदियों से भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का औसत कम रहा है.
मिथ-5: मुस्लिम फैमिली प्लानिंग के खिलाफ
- कुरान में कहीं भी परिवार नियोजन पर प्रतिबंध नहीं है. सिर्फ इसके पक्ष और विपक्ष में व्याख्याएं हैं.
- कुरान की अनेक आयतें और हदीसों में महिलाओं के स्वास्थ्य पर जोर दिया गया है. इनमें बच्चे और उनकी अच्छी परवरिश के अधिकार की बात कही गई है.