Made in India fighter Jet Tejas: भारत में निर्मित लड़ाकू विमान (Fighter Jet) तेजस की खूबियों के कारण विश्व के सामरिक बाजार (World Military Market) में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. इसके समकक्ष बाकी देशों के विमान महंगे और कम खूबियों वाले बताए जा रहे हैं, यही कारण है कि तेजस धीरे-धीरे दुनियाभर के आसमान में गरजने के लिए तैयार हो रहा है. मलेशिया और कोलंबिया के बाद लैटिन अमेरिका के देश (Latin America) अर्जेंटीना (Argentina) ने तेजस को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने इसकी पुष्टि की है. 


दरअसल, विदेश मंत्री चार दिन के लैटिन अमेरिका के दौरे पर थे. उन्होंने बताया कि अर्जेंटीना की एयरफोर्स ने तेजस को खरीदने की दिलचस्पी दिखाई है, इससे दोनों देशों के संबंधों को ऊंचाई मिलेगी. रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा चुका है कि सुपर पावर अमेरिका भी तेजस को खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुका है. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट मीडिया को जानकारी दे चुके हैं कि तेजस को खरीदने के इच्छुक देशों में अर्जेंटीना, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस शामिल हैं. आखिर ऐसी क्या खूबियां है तेजस में कि दुनिया इसकी कायल हो रही है, आइये जानते हैं.


ऐसे शुरू हुआ तेजस पर काम


भारत में निर्मित तेजस सिंगल इंजन वाला वजन में हल्का लड़ाकू विमान है. यह मल्टीरोल फाइटर जेट है. एरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी (ADA) ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ मिलकर तेजस को डिजाइन किया है.  एडीए रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के तहत काम करता है. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेडभारतीय राज्य के स्वामित्व वाली एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है. भारत मे 80 के दशक में पुराने मिग-21 लड़ाकू विमानों बदलने के लिए हल्के लड़ाकू विमान यानी लाइट कोमबैट एयरक्राफ्ट (LCA) का प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसके परिणामस्वरूप तेजस अस्तित्व में आया. 2003 में एलसीए का आधिकारिक नाम तेजस रखा गया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहापी वाजपेयी ने इसका नाम तेजस रखा था. तेजस का मतलब चमक होता है. यह अपनी श्रेणी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में सबसे छोटा और हल्का है.


2011 में तेजस के प्रारंभिक परिचालन और फिर अंतिम परिचालन की मंजूरी 2019 में मिली. तेजस का पहला स्क्वॉड्रन 2016 में परिचालन के लिए तैयार हो गया था. वर्तमान में तेजस के तीन वैरिएंट भारत बनाता है, इनमें तेजस मार्क 1, तेजस मार्क 1 ए और तेजस ट्रेनर शामिल हैं. इसके एक और वैरिएंट तेजस मार्क 2 को विकसित करने का काम चल रहा है. 2026 तक तेजस मार्क 2 के तैयार हो जाने की उम्मीद है. 


भारतीय वायसेना के बेड़े में शामिल होंगे 83 तेजस


रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस खरीदने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स के साथ पिछले वर्ष फरवरी में 48 हजार करोड़ रुपये का करार किया था. तेजस के अलावा भारतीय वायुसेना के टॉप हवाई बेड़े में फिलहाल सुखोई Su-30MKI, राफेल, मिराज और मिग-29 शामिल हैं. 2023 में इंडियन एयरफोर्स को तेजस की डिलीवरी शुरू हो जाएगी. 


इन खूबियों की वजह से तेजस की भारी मांग


तेजस के 50 फीसदी कलपुर्जे भारत में तैयार हुए हैं. इसमें इजराइल की रडार रोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह एक साथ 10 लक्ष्यों भेदने के लिए निशाना लगा सकता है. इसे उड़ान भरने के लिए महज 460 मीटर का रनवे चाहिए होता है, इस वजह से यह किसी भी जंगी जहाज से टेक ऑफ और वापस उस पर आसानी से लैंड कर सकता है. इसका वजन कुल 6500 किलोग्राम है. इसकी अधिकतम स्पीड 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है.


इसमें एंटीशिप मिसाइल लगाई जा सकती हैं. लेजर गाइडेड मिसाइल से लैस होकर यह हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से पानी में मार कर सकता है. इसमें खास जैमर तकनीक इस्तेमाल किया गया है, जिससे दुश्मन की आंख में आसानी से धूल झोंकी जा सकती है. यह सुखोई के बराबर असलहा और मिसाइल लेकर उड़ान भर सकता है. 52 हजार फीट की ऊंचाई पर यह ध्वनि की गति से उड़ान भरकर पहुंच सकता है. यह हवा में ही रीफ्यूल हो सकता है और दोबारा जंग के लिए तैयार हो सकता है. अपने समकक्ष चीन के जेएफ-17 और कोरिया के लड़ाकू विमानों के मुकाबले यह कहीं ज्यादा जबरदस्त है.


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