नई दिल्ली: देश के कई राज्य के राज्यपाल बदल दिए गए हैं. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्रा को अब ट्रांसफर कर राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. कलराज मिश्रा के स्थान पर बंडारू दत्तात्रेय अब हिमाचल प्रदेश के नए राज्यपाल होंगे. वहीं, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल बनाया गया है. साथ ही आरिफ मोहम्मद खान अब केरल में राज्यपाल पद की जिम्मेदारी संभालेंगे. डा. तमिलिसाई सुंदरराजन को तेलंगाना का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है.


इस सभी नामों में सबसे ज्यादा चर्चा आरिफ मोहम्मद खान के नाम के नाम की हो रही है. हाल ही में आरिफ मोहम्मद खान का नाम तब चर्चा मेंआया था जब 26 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस पर मुस्लिमों को धोखा देने का आरोप लगाया और 34 साल पुराने शाहबानो केस का हवाला दिया. पीएम मोदी ने उस वक्त कांग्रेस के एक मंत्री का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने मंत्री का नाम तो नहीं लिया लेकिन बता दें कि उन्होंने जिस मंत्री का जिक्र किया वो आरिफ मोहम्मद खान ही थे.


पीएम ने कहा था कि उस वक्त कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे एक नेता ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि मुसलमानों के उत्थान की जिम्मेदारी उसकी नहीं है, अगर वो गटर में पड़े रहना चाहते हैं तो पड़े रहने दो. बता दें कि पीएम ने जिस इंटरव्यू की बात पीएम कह रहे थे वो एबीपी न्यूज़ के शो प्रधानमंत्री में दिया गया आरिफ मोहम्मद खान का इंटरव्यू था. खुद आरिफ मोहम्मद खान ने इसकी पुष्टि की. पीएम मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई धन्यवाद चर्चा का जवाब दे रहे थे. बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान गवर्नर के तौर पर पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पी सदाशिवम की जगह लेंगे.


कौन हैं आरिफ मोहम्मद खान?
आरिफ मोहम्मद खान का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ. शुरुआती शिक्षा दिल्ली के जामिया मिलिया स्कूल में हुई. इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और शिया कॉलेज लखनऊ में भी पढ़ाई की. राजनीतिक करियर की बात करें तो आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी राजनीति छात्र नेता के तौर पर शुरू की थी. भारतीय क्रांति दल नाम की स्थानीय पार्टी के टिकट पर पहली बार आरिफ खान ने बुलंदशहर की सियाना सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, मगर वह हार गए थे. फिर महज 26 साल की उम्र में 1977 में आरिफ मोहम्मद खान पहली बार विधायक चुने गए.


इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और साल 1980 में कानपुर और 1984 में बहराइच से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. साल 1986 में मुस्लिम महिला (तलाक अधिकार संरक्षण) विधेयक पर प्रधानमंत्री राजीव गांधी से तीन तलाक के बाद महिला को गुजारा भत्ता के मुद्दे पर पहले मंत्री पद और बाद में सरकार से इस्तीफा दे दिया. आरिफ मोहम्मद खान इस बिल के खिलाफ थे.


कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद आरिफ मोहम्मद खान जनता दल में आ गए और एक बार फिर साल 1989 में लोकसभा चुवाल जीतकर दिल्ली पहुंचे. जनता दल सरकार के दौरान उन्होंने नागिरक उड्डयन मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. जनता दल के साथ नौ साल की पारी खेलने के बाद आरिफ मोहम्मद खान ने बीएसपी शामिल हो गए. उनका राजनीतिक सफर यहीं खत्म नहीं हुआ, 2004 आरिफ मोहम्मद खान बीजेपी में शांमिल हो गए. कैसरगंज से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन असफलता हाथ लगी. साल 2007 में बीजेपी में नजरअंदाजी और पक्षपात का आरोप लगाकर उन्होंने उसे भी छोड़ दिया.