केरल विधानसभा में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद का 2 मिनट से भी छोटा अभिभाषण, 62 पन्नों में से पढ़ा बस आखिरी पैरा
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सुबह 9 बजे विधानसभा पहुंचे 9 बजकर 2 मिनट से भी पहले भाषण खत्म कर दिया और 9 बजकर 4 मिनट पर सदन से चले गए. पांच मिनट से भी कम समय तक ही वह विधानसभा में रहे.
केरल में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा सरकार के साथ चल रहे तनाव के बीच राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विधानसभा में गुरुवार (25 जनवरी, 2024) को 2 मिनट से भी कम समय में अपना अभिभाषण सामप्त कर दिया. उन्होंने अपने अभिभाषण का सिर्फ अंतिम पैराग्राफ ही पढ़ा. सरकार के साथ चल रहे तनाव के बीच उनका ऐसा करना चर्चा का विषय बन गया है. ऐसा करके आरिफ मोहम्मद खान ने सरकार से अपनी नाराजगी के संकेत दिए हैं.
आरिफ मोहम्मद खान सुबह नौ बजे विधानसभा पहुंचे और उन्होंने अपना अभिभाषण नौ बजकर दो मिनट से भी पहले समाप्त कर दिया. भाषण के बाद वह नौ बजकर चार मिनट पर सदन से रवाना हो गए. विधानसभा पहुंचने पर अध्यक्ष ए एन शमसीर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और संसदीय मामलों के मंत्री के राधाकृष्णन ने फूलों के गुलदस्तों के साथ राज्यपाल का स्वागत किया.
आरिफ मोहम्मद खान ने पढ़ा सिर्फ एक पैरा
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने नीतिगत संबोधन से पहले विधानसभा सदस्यों का अभिवादन किया और कहा, 'मैं सिर्फ अंतिम पैराग्राफ पढ़ूंगा.' राज्यपाल के 62 पन्नों वाले नीतिगत संबोधन में से उन्होंने सिर्फ अंतिम यानी 136वां पैरा पढ़ा. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा, 'हमें याद रखना चाहिए कि हमारी सबसे बड़ी विरासत इमारतों में या स्मारकों में नहीं है बल्कि उस सम्मान और लिहाज में है जो हम भारत के संविधान की अमूल्य विरासत और लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद तथा सामाजिक न्याय के शाश्वत मूल्यों के प्रति दिखाते हैं.'
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सहकारी संघवाद के मूल ने इतने सालों तक भारत को एकजुट और मजबूत रखा है. यह सुनिश्चित करना सभी का कर्तव्य है कि वह मूलतत्व कमजोर नहीं पड़े. राज्यपाल ने कहा, 'इस विविध और सुंदर राष्ट्र के हिस्से के रूप में हम हमारे रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों को पार करते हुए समावेशी विकास और लचीलेपन का ताना-बाना बुनेंगे.' इसके साथ ही राज्यपाल अपना अभिभाषण समाप्त करते हुए अपनी सीट पर बैठ गए.
5 मिनट से भी कम समय में ही विधानसभा से चले गए आरिफ मोहम्मद खान
अभिभाषण की समाप्ति पर राष्ट्रगान गाया गया और उसके समाप्त होने पर खान विधानसभा से चले गए. यह पूरी प्रक्रिया पांच मिनट के भीतर ही संपन्न हुई. आरिफ मोहम्मद खान और माकपा नीत केरल सरकार के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं जिनमें राज्य में विश्वविद्यालयों के कामकाज का मुद्दा और विधानसभा की ओर से पारित कुछ विधेयकों पर उनके द्वारा हस्ताक्षर नहीं करना प्रमुख हैं.