नई दिल्ली : कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों से निपटने के लिए सेना के जीप पर कश्मीरी युवक को बांधे जाने की घटना का सेना प्रमुख बिपिन रावत ने फिर बचाव किया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में बिपिन रावत ने मेजर लीतुल गोगोई का समर्थन करते हुए कहा है कि वो अपने लड़कों को लड़ने के लिए कह सकते हैं, मरने के लिए नहीं.


सेना प्रमुख ने कहा, ''ये एक छद्म युद्ध है और छद्म युद्ध हमेशा गंदा होता है. जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना डर्टी वार का सामना कर रही है. जिससे निपटने के लिए नए-नए तरीके ढंढने की जरूरत है. हमने पत्थरबाज को जीप पर बांधने वाले मेजर लीतुल गोगोई को इसलिए सम्मानित किया ताकि आतंकवाद प्रभावित राज्य में बेहद कठिन हालात में काम कर रहे सेना के नौजवान अफसरों का मनोबल बढ़ाया जा सके. जब लोग हमपर पत्थर और पेट्रोल बम फेंक रहे हों तो मैं अपने लोगों से 'देखते रहने और मरने' के लिए नहीं कह सकता.''


अपने इंटरव्यू में उन्होंने आगे कहा, 'मैं चीफ के तौर पर अपने लड़कों से क्या कहूं? क्या मैं उनसे ये कहूं कि मैं उनके शव को अच्छे ताबूत और तिरंगे में लपेट कर पूरे सम्मान के साथ घर पहुंचा दूंगा. मेरा काम ये नहीं बल्कि वहां लड़ रहे सैनिकों का मनोबल ऊंचा बनाए रखना मेरा फर्ज है.'


गौरतलब है कि हाल ही में मेजर गोगोई मीडिया के सामने आए थे और उस दिन की घटना के बारे में बताया.


क्या बोले मेजर लीतुल गोगोई?
मेजर गोगोई ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, “9 अप्रैल को बडगाम में उप चुनाव करवाने के लिए हमारी ड्यूटी लगाई गयी थी. 9.15 मिनट पर मुझे आईटीबीपी के एक जवान का फोन आया. उन्होंने बताया कि 400-500 लोग पोलिंग स्टाफ पर पत्थर फेंक रहे हैं. जैसे ही हमें जानकारी मिली हम अपनी टीम के साथ मौके पर पुहंच गए. रास्ते में हमें कई जगह रास्ते बंद मिले जिन्हें हम खोलते हुए आगे बढ़ गए. आधे घंटे में हम वहां पहुंच गए. हमने स्थिति को काबू में ले लिया.”



मेजर गोगोई ने बताया था, “हम पोलिंग बूथ के अंदर गए इसी दौरान हमें फिर आईटीबीपी के जवानों का फोन आया. उन्होंने बताया कि उटलीगाम में करीब 1200 लोगों ने उन्हें घेर लिया है. ये लोग पेट्रेल बम के जरिए पोलिंग बूथ को जलाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बाद हम तुरंत उटलीगाम के लिए निकले. हम जब वहां पहुंचे वहां मौजूद भीड़ ने हम पर पत्थर फेंके. इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.”


मेजर गोगोई ने कहा, “हम गाड़ी से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, मैं लगातार लाउडस्पीकर पर घोषणा कर रहा था कि हम यहां सिर्फ पोलिंग स्टाफ और आईटीबीपी को बचाने आए हैं. हमारी बात किसी ने नहीं सुनी. इसी दौरान मैंने देखा एक आदमी मेरी गाड़ी के पास खड़ा है. मैंने तुरंत अपनी टीम के साथ उस युवक को पकड़ लिया. उस युवक का नाम फारुख अहमद डार था. उस युवक को साथ लेकर हम पोलिंग स्टेशन के अंदर गए और पोलिंग स्टाफ को रेस्क्यू किया.”


मेजर गोगोई ने कहा, “जब हम वहां से जाने लगे तभी हमारी गाड़ी कीचड़ में फंस गयी. उसी वक्त फिर से हम पर पत्थरबाजी होने लगी. हमने एक बार फिर लाउडस्पीकर की घोषणा की. हमें भीड़ ने घेर लिया और हमारी तरफ पेट्रोल बम फेंके गए. उसी वक्त मेरे दिमाग में उस युवक को जीप पर बांधने का विचार आया. युवक को जीप पर बंधा देखकर लोगों ने पत्थरबादी रोक दी और हमें वहां से निकलने का टाइम मिल गया. मैंने यह सब स्थानीय लोगों की जान बचाने के लिए किया. हमने एक भी गोली चलाए बिना 12 लोगों की जान बचाई.”


क्या है पूरा मामला ?
श्रीनगर में बाई-इलेक्शन के लिए 9 अप्रैल को वोट डाले गए थे. इस दौरान बीड़वाह समेत कई इलाकों के वोटिंग बूथों पर हिंसा हुई थी. इसी दौरान मेजर लीतुल गोगोई ने पत्थरबाजी कर रहे लोगों की भीड़ से डार को पकड़कर जीप के आगे बांधने का ऑर्डर दिया था. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद मुद्दा गरमा गया था.


आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि फिलहाल मेजर के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच चल रही है. इसके पहले आर्मी ने मेजर गोगोई को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में क्लीन चिट दे दी थी.


फारुख अहमद डार का सेना की बात से इनकार
मेजर गोगोई ने जिस फारुख अहमद डार को गाड़ी पर बांध कर घुमाया उसका दावा है कि वोट देकर वापस लौट रहा था. मैं कसम खाता हूं कि आगे किसी इलेक्शन में वोट नहीं डालूंगा.