नई दिल्ली: आज के माहौल में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन मुख्यधारा की मीडिया की इस फेक न्यूज‌ से लड़ने में एक अहम भूमिका है. ये कहना है थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का. हाल ही में जामिया यूनिवर्सिटी में बस की आग बुझाते पुलिसकर्मियों का उदाहरण देते हुए सेना प्रमुख ने कहा किस तरह सोशल मीडिया पर एक अच्छे कार्य को गलत तरीके से पेश किया गया. उन्होनें कहा आज सुरक्षाबलों को इस तरह की फेक न्यूज से भी लड़ना पड़ता है.


जनरल बिपिन रावत‌ अपने रिटायरमेंट से पहले शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में कुछ चुनिंदा पत्रकारों से बात कर रहे थे. एबीपी न्यूज संवाददाता भी इस दौरान वहां मौजूद थे. इस‌ दौरान उन्होनें फेक न्यूज को लेकर अपने विचार रखे. उन्होनें साफ तौर से कहा कि देखा गया है कि इस तरह का दुष्प्रचार पाकिस्तान और मलेशिया जैसे देशों से ही शुरू होता है.


हाल ही में जब कैब (सिटीजन एमेंडमेंट बिल) के विरोध के दौरान सेना को असम और त्रिपुरा में तैनात किया गया था तो सोशल मीडिया पर सेना के खिलाफ ही दुष्प्रचार शुरू हो गया था. इसके लिए सेना को बाकयदा आधिकारिक बयान जारी करना पड़ा था कि सेना की फायरिंग में किसी प्रदर्शनकारी की मौत नहीं हुई है.


अपने तीन साल के कार्यकाल के बाद जनरल बिपिन रावत इस महीने की 31 तारीख को सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो रहे हैं. माना जा रहा है कि सरकार उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस बना सकती है.


पिछले तीन साल के दौरान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने भारतीय सेना के खिलाफ सोशल मीडिया पर जंग छेड़ रखी थी. खासतौर से कश्मीर में सेना की तैनाती को लेकर दुष्प्रचार किया गया. लेकिन जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने एलओसी से लेकर सोशल मीडिया तक पर पाकिस्तान के सभी झूठ को बेनकाब कर दिया.


उन्होनें कहा कि धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में हालात काफी सुधर गए हैं लेकिन सेना को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहेना होगा.