चीन के साथ टकराव के बीच थलसेना प्रमुख अचानक पहुंचे पूर्वी लद्दाख, ऑपरेशनल तैयारियों का लिया जायजा
थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने पूर्वी लद्दाख के रेचिन-ला दर्रे का दौरा किया. ये सामरिक महत्व का दर्रा है.
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नई दिल्ली: थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे बुधवार को अचानक पूर्वी लद्दाख के उस रेचिन-ला दर्रे पर पहुंचे जिसे भारतीय सेना ने 29-30 अगस्त की रात को अपने अधिकार-क्षेत्र में किया था.
एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर बेहद ही सामरिक महत्व का ये दर्रा है जिससे टैंक, बीएमपी और सैनिकों का चीन की सीमा में दाखिल होना बेहद आसान है. इसके अलावा जनरल नरवणे ने सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायज़ा तो लिया ही, वहां तैनात सैनिकों के साथ क्रिसमस भी मनाया.
सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे बुधवार की सुबह लेह पहुंचे और चीन से सटी एलएसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाली फायर एंड फ्यूरी कोर (14वीं कोर) के मुख्यालय पहुंचकर ऑपरेशन्ल तैयारियों की समीक्षा की.
इस दौरान 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी मौजूद थे. वहां से कोर कमांडर के साथ जनरल नरवणे हेलीकॉप्टर से चुशूल के करीब रेचिन-ला दर्रा पहुंचे.
रेचिन-ला दर्रे पर थलसेना प्रमुख ने वहां तैनात मैकेनाइज्ड-इफेंट्री और आर्मर्ड यानि टैंक पर तैनात सैनिकों से मुलाकात की. क्योंकि रेचिन ला दर्रे पर सेना की बीएमपी (आर्मर्ड कैरियर व्हीकल) और टैंक तैनात हैं. क्योंकि इस दर्रे से भारतीय सेना के टैंक और बीएमपी मशीन आसानी से चीन (तिब्बत) के रेचिन ग्रेजिंग लैंड में दाखिल हो सकती हैं. इसीलिए रेचिन ला दर्रा सामरिक तौर से बेहद महत्वपूर्ण है.
आपको बता दें कि 29-30 अगस्त की रात को भारतीय सेना ने कैलाश पर्वत श्रृंखला के रेचिन-ला दर्रे सहित गुरंग हिल, मगर हिल और मुखपरी को अपने अधिकार-क्षेत्र में कर लिया था. भारतीय सेना ने ये बड़ी कारवाई चीन की पीएलए सेना के पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर 8 से फिंगर 4 तक पर कब्जे के बाद की थी.
कैलाश रेंज पैंगोंग-त्सो के दक्षिण का इलाका है, जो चुशूल ब्रिगेड के अंतर्गत आता है. फिंगर एरिया पैंगोंग-त्सो झील के उत्तर का एरिया है. 29-30 अगस्त की रात के ऑपरेशन के बाद से ही चीनी सेना की अकड़ थोड़ी कम हुई थी और बातचीत की टेबल पर भारत एक मजबूत स्थिति में आ गया था.
आपको बता दें कि पिछले 08 महीने से भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर सीमा-विवाद को लेकर टकराव की स्थिति में है. दोनों ही देशों के करीब 50-50 हजार सैनिक एलएसी पर तैनात हैं. इसके अलावा बड़ी तादाद में एलएसी पर दोनों ही देशों के टैंक, तोप, बीएमपी मशीन और मिसाइलें तैनात हैं. हाल ही में अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट में एलएसी पर भारत और चीन के तनाव को इस सदी का सबसे बड़ा बॉर्डर-विवाद बताया गया था.
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