देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने जनरल बिपिन रावत, कल संभालेंगे पद
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का एलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से किया था.
नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है. जनरल रावत 65 साल की उम्र तक इस पद पर रहेंगे. सरकार ने सीडीएस के पद के लिए शनिवार को ही आर्मी रूल्स में बदलाव करते हुए सीडीएस के लिए 65 वर्ष की उम्र घोषित कर दी थी.
CDS का एलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से किया था. इस पद के लिए प्रभावी नेतृत्व की जरूरत थी. सीडीएस के तौर पर बिपिन रावत तीनों सेनाओं के प्रमुखों के ऊपर काम करेंगे.
सेना प्रमुख के पद से बिपिन रावत 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं तो उससे पहले ही प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की अप्वाइंटिंग कमेटी ने उन्हें सीडीएस अप्वाइंट कर दिया. सेना अध्यक्ष के तौर पर बिपिन रावत के सामने चुनौतियां बहुत थीं.
बिपिन रावत को ही क्यों चुना गया? - जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद हालात पर बखूबी नियंत्रण रखा - रावत के अगुवाई में ही इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप यानी IBG का गठन हुआ. जो युद्ध के बदलते दौर में सेना का सबसे बड़ा आधुनिकिकरण है - कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए आपरेशन ऑल आउट चलाया जिसके तहत तीन साल में 633 आतंकी मारे गए.
आखिर सीडीएस है क्या और ये कैसे काम करेगा? सरकार के मुताबिक, CDS चार स्टार जनरल होगा. जो रक्षा मंत्रालय के नए विभाग डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के सेक्रेटरी के तौर पर काम करेगा. सीडीएस की सैलरी तीनों सेना प्रमुखों के ही बराबर होंगी. CDS के अंतर्गत सेना के तीनों अंगों के साझा कमांड और डिवीजन होंगे.
सीडीएस रक्षा मंत्रालय के प्रिंसिपल मिलिट्री सलाहकार के तौर पर काम करेंगे जहां तीनों सेनाओं के मुद्दे जुड़े होंगे. सरकार ने साफ किया है कि तीनों सेना प्रमुख पहले की तरह अपना काम करते रहेंगे. सीडीएस सिर्फ सैन्य मामले देखेगी. रक्षा के मामले रक्षा मंत्रालय देखेगा.
देश को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की जरूरत क्यों है? -सीडीएस तीनों सेनाओं के साझा मामलों पर सरकार और रक्षा मंत्री का प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर होगा -CDS रक्षा मंत्री के प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर के तौर पर काम करेगा -CDS का काम तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल करना होगा -ट्रेनिंग, ट्रांसपोर्ट, सेना के ऑपरेशन्स CDS के दिशा निर्देश में होगी -सेनाओं के पांच साल के रक्षा बजट को भी लागू करने में अहम भूमिका होगी.
CDS के पास तीनों सेनाओं के काम पर सीधे कंट्रोल नहीं होगा लेकिन उन कमांड और डिविजन पर अधिकार रखेगा. जहां तीनों सेनाओं का संयुक्त कमांड है. अंडमान, स्पेशल डिविजयन, साइबर और डिफेंस एजेंसी का हेड होगा.
आजादी के बाद से हिंदुस्तान 5 युद्ध लड़ चुका है. चार पाकिस्तान और एक चीन के साथ. पाकिस्तान हर बार हारा है लेकिन चीन से हमें हार मिली. जिसकी बड़ी वजह थी तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी भी रही. 1962 में पूर्वी मोर्चे पर चीन के साथ जंग छिड़ी. तब वायुसेना को युद्ध में कोई भूमिका नहीं दी गई. वर्ना युद्ध का नतीजा कुछ और होता. 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग में भी नौसेना के साथ तालमेल और सूचना के अभाव की कमी सामने आई थी.
1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में तीनों सेनाओं ने साथ मिलकर काम किया और पाकिस्तान को सरेंडर करना पड़ा. करगिल युद्ध हम पाकिस्तान से जीते लेकिन वायुसेना को मैदान में आने में कई हफ्ते लगे. कारण तालमेल की कमी थी. इसलिए जीत में वक्त लगा.
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करगिल युद्ध के बाद तत्कालीन सरकार ने के सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में रिव्यू कमेटी बनाई. 1999 में कमेटी ने CDS के पद की सिफारिश की थी. तब मतभेद के चलते CDS का पद नहीं बन सका था. लेकिन तालमेल बढ़ाने के लिए चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का गठन किया गया था जिसमें तीनों सेना के साथ मंत्रालय के लोग होते हैं. 2012 में पूर्व कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा कमेटी ने CoSC के चेयरमैन पद को स्थायी बनाने की सिफारिश की थी.
CDS बनाने का सपना अटल बिहारी वाजपेयी का था. मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में इसे पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया. 2016 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सैन्य तैयारियों के लिए रिटायर्ड लेफ्टनेंट जर्नल डीपी शेकाटकर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई. 23 दिसंबर 2016 को शेकाटकर ने 188 सिफारिशों के साथ सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें CDS एक था.