जैसलमेर: थलसेना प्रमुख‌ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बुधवार को जैसलमेर सैन्य स्टेशन कोरांटीन (क्वारेंटाइन) सेंटर का दौरा किया. सेना प्रमुख ने यहां ईरान से लाए गए भारतीयों की सुविधाओं सहित कोरोना वायरस से बचाव के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की.


बता दें कि सेना ने 'हर काम देश के नामके तहत राजधानी दिल्ली के करीब मानेसरराजस्थान के जैसलमेरजोधपुर और सूरतगढ़ सहित कोलकताचेन्नई और सिकंदराबाद में विदेश से लाए जा रहे भारतीयों और विदेशी नागरिकों के लिए कोरांटीन सेंटर स्थापित किए हैं ताकि कोरोना वायरस से बचाव में सरकार की हर संभव मदद की जाए


जैसलमेर स्थित कोरांटीन सेंटर में इस वक्त 484 भारतीय रह रहे हैं जिन्हें ईरान से निकाल दिया गया है. इनमें से अधिकतर कश्मीर और लद्दाख के निवासी हैं और ईरान में तीर्थ यात्रा के लिए गए थे. ईरान में कोरोना वायरस फैलने के चलते वहां से उन्हें विशेष विमान से भारत लाया गया है


195 भारतीयों का एक और दल ईरान से एक विशेष विमान से बुधवार शाम जैसलमेर लाया गया. इन यात्रियों की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के बाद जैसलमेर स्थित सैन्य कोरांटीन केन्द्र ले जाया गया. इस दल के आने से जैसलमेर स्थित सैन्य स्वस्थता केन्द्र में रह रहे लोगों की संख्या बढ़ कर  484 हो गयी है.


कोरांटाइन्ड लोगों के ठहरने और उन्हे आरामदायक बनाने के लिए जैसलमेर स्थित सैन्य आईसोलेशन सेंटर सभी सुविधाओं से सुसज्जित है.  महिलाओं और पुरुषों को उनके आयु समूहों के अनुसार अलग-अलग बैरकों में रखा गया हैनिगरानी के लिए चिकित्सा कर्मचारियों की एक समर्पित टीम को स्वस्थता सुविधा में रखा गया है.  सभी कमरों मे टीवी उपलब्ध कराए गए हैं और उनके मनोरंजन के लिए इनडोर और आउटडोर खेलों का प्रबंध भी किया गया है. सैनिकों के बैरक खाली कराकर उन्हें कोरांटीन सेंटर में तब्दील कर दिया गया है.



इस सेंटर  को पूरी तरह से अलग कर दिया गया है और इसकी सुरक्षा के लिए जवानों को चौबीसों घंटे तैनात किया गया है.  कुल मिलाकर सैन्य स्वस्थता सुविधा को एक उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोरांटाइन लोग उस स्थान को स्वस्थ होकार ही छोड़ें.  


थलसेना प्रमुख ने दक्षिणी कमान और विशेष रूप से कोणार्क कोर द्वारा विभिन्न जगह से लाए गए भारतीय नागरिकों की देखभाल करने में नागरिक प्रशासन की मदद के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की.


सेना प्रमुख ने सीमावर्ती क्षेत्रों का भी दौरा किया और पश्चिमी सीमाओं के साथ भारतीय सेना की परिचालन तत्परता की समीक्षा कीजबकि सभी सैनिकों को वास्तविक और केंद्रित प्रशिक्षण के माध्यम से व्यावसायिकता और परिचालन तैयारियों के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया.