(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'स्वदेशी हथियारों से जरूरत पूरी करेगा भारत', एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बोले थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे
Manoj Pande Talk With ABP News: गुजरात में चल रहे डिफेंस एक्सपो में स्वदेशी हथियारों का जायजा लेने आए थलसेनाध्यक्ष ने विस्तार से बताया कि भारतीय सेना को स्वदेशी हथियारों की क्यों सख्त जरूरत है.
Manoj Pande: एबीपी न्यूज़ ने थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (Manoj Pandey) से खास बातचीत की है. भारतीय सेना एक साथ चीन और पाकिस्तान दोनों ही मोर्चो से जूझ रही है. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत स्वदेशी हथियारों से अपनी ऑपरेशन्ल जरूरत पूरी कर पाएगा. एबीपी न्यूज़ के इस सवाल पर मनोज पांडे ने साफ कहा कि स्वदेशी हथियारों से सेना की तैयारियों पर विपरीत असर नहीं पड़ेगा, बल्कि भारतीय सैनिकों की क्षमताएं और बढ़ जाएंगी.
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में चल रहे डिफेंस एक्सपो में स्वदेशी हथियारों का जायजा लेने आए थलसेनाध्यक्ष ने विस्तार से बताया कि भारतीय सेना को स्वदेशी हथियारों की क्यों सख्त जरूरत है. इस दौरान उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि हमने देखा कि किस तरह पिछले कुछ महीने में ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई है. अगर हम अपने बनाए हथियार इस्तेमाल करेंगे तो हमें किसी दूसरे की तरफ ताकने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
'कंपनियों और स्टार्ट अप को पता है सेना की जरूरतें'
जनरल पांडे ने बताया कि हमारी डिफेंस इंडस्ट्री, कंपनियों और स्टार्ट अप को हमारी जरूरतें पता हैं कि हमारे सैनिकों को क्या चाहिए. उन्हें हमारी ऑपरेशनल जरूरतें और किन परिस्थितियों में जरूरत है उससे अच्छे से वाकिफ हैं. इस सवाल पर कि निकट भविष्य में भारतीय सेना को किन-किन स्वदेशी हथियारों की जरूरत होगी, थलसेनाध्यक्ष ने कहा कि आने वाले समय में पुरानी तोप और टैंकों को स्वदेशी टैंक और तोप से बदलेंगे.
'जल्द पड़ेगी काउंटर ड्रोन की जरूरत'
जनरल पांडे ने बताया कि ग्रे-जोन में ओपरेट करने के लिए सर्विलांस के लिए ड्रोन की जरूरत है. इसके अलावा आने वाले समय में हमें ड्रोन और काउंटर ड्रोन की जरूरत पड़ेगी. क्योंकि हमारे दुश्मनों के पास भी ड्रोन है. जनरल पांडे ने कहा कि हमें बॉर्डर इलाकों में सैनिकों के मूवमेंट के लिए ऑल टेरेन कॉम्बेट व्हीकल की जरूरत होगी. इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानि एआई, क्वांटम कम्पयूटिंग इत्यादि के लिए भी हम स्वदेशी तकनीक चाहिए. थलसेना प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के नतीजे अगले 3-4 साल में दिखने शुरू हो जाएंगे.
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