आर्मी चीफ जनरल नरवणे का ऐतिहासिक खाड़ी दौरा आज से, पहली बार सऊदी अरब जा रहा है कोई सेना प्रमुख
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे आज से सऊदी अरब और यूएई के पांच दिवसीय दौरे पर रहेंगे. ये पहला मौका है जब कोई भारतीय सेना प्रमुख सऊदी अरब का दौरा करेगा. सऊदी अरब और यूएई के भारत के साथ अच्छे संबंध हैं. इस दौरे से रक्षा संबंध और मजबूत होने की उम्मीद जताई गई है.
नई दिल्ली: थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे आज सऊदी अरब और यूएई के ऐतिहासिक दौर पर जा रहे हैं. ये पहली बार है कि भारत को कोई सेना प्रमुख सऊदी अरब के दौरे पर जा रहा है. जनरण नरवणे के इस दौरे से भारत का खाड़ी के दो महत्वपूर्ण देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाना है, जिससे पाकिस्तान को मिर्ची लगनी तय माना जा रहा है.
ये रहा पूरा शेड्यूल
जानकारी के मुताबिक, थलसेना प्रमुख सबसे पहले बुधवार को यूनाईट अरब अमीरात (यूएई) के दो दिवसीय (9-10 दिसम्बर) दौरे पर जाएंगे जहां वे अपने समकक्ष जनरल से मुलाकात करेंगे और दोनों देशों के बीच रक्षा-क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बातचीत करेंगे.
गौरतलब है कि यूएई उन पांच देशों में शामिल है जो भारतीय सेना के लिए कारबाईन (राइफल) देने के टेंडर में शामिल है. इसके इलावा भारतीय वायुसेना और नौसेना यूएई के साथ साझा युद्धभ्यास भी करती हैं. इसके बाद दूसरे चरण के अपने दौरे पर 13 दिसम्बर को थलसेना प्रमुख सऊदी अरब के दौरे पर जाएंगे (13-14 दिसम्बर).
सेना प्रमुख इस दौरान रॉयल सऊदी लैंड फोर्सेज़ (सऊदी थलसेना) और ज्वाइंट फोर्स कमांड के मुख्यालय पर जाएंगे और खाड़ी देशों के सबसे महत्वपूर्ण देशों में से एक के सुरक्षा-तंत्र से जुड़े अधिकारियों और नुमाईंदों से मुलाकात कर रक्षा क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
इसके अलावा जनरल नरवणे किंग अब्दुल अज़ीज़ मिलिट्री एकेडमी और नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में छात्रों और फैकलटी को भी संबोधित करेंगे. दरअसल जनरल नरवणें का खाड़ी देशों का ये दौरा पहले रविवार से शुरू होना था लेकिन किन्ही कारणों से टल गया था.
थलसेना प्रमुख के इस दौरे पर पाकिस्तान की निगाहें आपको बता दें कि थलसेना प्रमुख के इस दौरे पर पाकिस्तान की निगाहें भी लगी हुई हैं. क्योंकि अभी तक सऊदी अरब और यूएई दोनों ही पाकिस्तान के सबसे करीबी मित्र-देश माने जाते थे. लेकिन हाल ही में सऊदी अरब ने पाकिस्तान से अपना दिया हुआ कर्ज वापस लेने के लिए कह दिया है.
साथ ही पाकिस्तान इस बात से भी नाराज था कि इस्लामिक देशों के सबसे बड़े संगठन में से एक, ओआईसी यानी आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन ने हाल ही में हुए सम्मेलन में कश्मीर को मुद्दा बनाने से साफ इंकार कर दिया था, जबकि पाकिस्तान इसके लिए काफी जोर दे रहा था. सऊदी अरब इसलिए भी पाकिस्तान से खिन्न है क्योंकि हाल के समय में पाकिस्तान का झुकाव टर्की-ईरान-मलेशिया के खेमे की तरफ हो रहा है, जो इस्लामिक देशों के बीच सऊदी अरब के वर्चस्व को चुनौती दे रहे हैं.
हथियार खरीदने के मामले में भारत के बाद सऊदी अरब जानकारी के लिए बता दें कि हथियार खरीदने के मामले में भारत के बाद सऊदी अरब आता है. ऐसे में दोनों देश एक दूसरे की मदद कर सकते हैं. रक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देश भारत के साथ अच्छा संबंध रखते हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच रक्षा के क्षेत्र में संबंध स्थापित करना ज़रूरी हो गया है.
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