(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चीनी सेना की छावनी से मात्र 200 मीटर दूर थे थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे, सामने आईं LAC दौरे की तस्वीरें
हाल ही में थलसेनाध्यक्ष ने एलएसी के रेचिन-ला का दौरा किया था उस वक्त वो चीनी सेना के कैंप से मात्र 200 मीटर की दूरी पर थे. इस दौरे की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिनेम जनरल नरवणे के बैकग्राउंड में ऊंचाई पर भारतीय सेना के कैंप दिख रहे है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा नए रक्षा-कानून को जारी करने के बाद अब ये बात सामने निकलकर आई है कि हाल ही में जब थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे एलएसी के दौरे पर गए थे तब वे चीनी सेना के कैंप से मात्र 200 मीटर की दूरी पर थे. उन्होनें चीन से सटे रेचिन-ला दर्रे पर भारतीय सेना की इंफेंट्री रेजीमेंट की तैयारियों के साथ-साथ आर्मर्ड (टैंक) ब्रिगेड और मैकेनाइज्ड-इंफेंट्री की तैयारियों का खास समीक्षा की थी.
सेना मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, थलसेना प्रमुख ने क्रिसमस और नववर्ष के मौके पर जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी का दौरा किया था, तब वे ठीक उसी रेचिन-ला दर्रे पर गए थे जहां से चीनी सेना की छावनी मात्र 200 मीटर की दूरी पर थी. उस वक्त सेना मुख्यालय ने जो तस्वीरें जारी की थीं उसमें जनरल नरवणे ने सैनिकों के साथ जो ग्रुप-फोटो खिंचवाया था उसमें उनके बैकग्राउंड में पहाड़ पर ऊंचाई पर भारतीय सेना के कैंप को एक लाइन से देखा जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक, थलसेना प्रमुख ने रेचिन-ला और तारा पोस्ट का दौरा इसीलिए किया था क्योंकि चीन से सटी एलएसी पर भारतीय सेना ने अपनी मोरचाबंदी पूरी कर ली है. सेना ने खास किस्म की ट्रेंच (खंदक) इस इलाके में बनाकर अपनी तैनाती को बेहद मजबूत कर रखा है. इन्ही तैयारियों का जायजा लेने के लिए थलसेनाध्यक्ष पैंगोंग-त्सो के दक्षिण में कैलाश-रेंज के रेचिन-ला दर्रे पर गए थे.
इसी कैलाश रेंज के मुखपरी, मगर हिल, गुरंग हिल और रेचिन ला दर्रे जैसी पहाड़ियों पर भारतीय सेना ने 29-30 अगस्त की रात को प्रीएम्टिव-ऑपरेशन कर अपने अधिकार-क्षेत्र में कर लिया था. उसके बाद से ही चीनी सेना तिलमिलाई हुई है, क्योंकि एलएसी से सटे चीन (तिब्बत) का मोलडो-गैरिसन, स्पैंगूर गैप और रेकिन (रेचिन) ग्रेजिंग-लैंड भारतीय सेना की जद में आ गए हैं.
भारतीय सेना की कारवाई के बाद चीनी सेना ने मध्यकालीन बर्बर हथियारों से इन उंचाई वाले इलाकों में भारतीय सेना के कैंपों पर हमला करने की कोशिश की थी. लेकिन भारतीय सेना ने अपने कैंपों की घेराबंदी कर चीन की पीएलएस सेना को दो-टूक कह दिया था कि अगर चीनी सैनिक करीब आए तों उनपर गोली चलाने से भी नहीं चूकेंगे. तब से चीनी सैनिक कैलाश रेंज की तलहटी में डेरा डालकर पड़े हुए हैं. दोनों देशों के बीच पिछले दो महीनों से कोर कमांडर स्तर की कोई बातचीत भी नहीं हुई है. आखिरी मीटिंग 6 नबम्बर को हुई थी. हालांकि, राजनयिक स्तर पर बातचीत जरूर हुई है.
मंगलवार को ही एबीपी न्यूज ने पहली बार पैंगोंग-त्सो इलाके से सटे इलाकों में चीनी सेना की छावनी दिखाई थी और बताया था कि कितनी बड़ी तादाद में चीनी सैनिकों ने एलएसी पर जमावड़ा कर रखा है.
मंगलवार को ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेंट्रल मिलिट्री कमीशन द्वारा जारी किए गए उस नए रक्षा कानून को हरी झंडी दी जिसमें लिखा गया है कि चीन की पीएलए सेना को युद्ध-जैसी परिस्थितियों में अपनी ट्रेनिंग को अंजाम देना है और किसी भी पल युद्ध के लिए तैयार रहना है.
आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलएसी पर पिछले आठ महीने से तनाव चल रहा है. गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए हिंसक-संघर्ष में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, और चीनी सेना को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था.
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