एलएसी पर चीन से चल रही टकराव के बीच थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे तीन दिनों की दक्षिण कोरिया की यात्रा पर गए हैं. इस दौरे से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और सामरिक भागीदारी मजबूत होने की उम्मीद है. खास बात ये है कि किसी भी थलसेना प्रमुख की दक्षिण कोरिया की ये पहली यात्रा है.

भारतीय सेना ने सोमवार को बयान जारी कर बताया कि अपने तीन दिन (28-30 दिसम्बर) के दौरे पर थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे, कोरिया के रक्षा मंत्री, चैयरमैन, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी, कोरियाई सेना के प्रमुख और रक्षा खरीद प्रक्रिया से जुड़े मंत्री से मुलाकात करेंगे. इस दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाना है.


अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान जनरल नरवणे गंगवोन प्रांत के इंजे स्थित कोरियाई सेना के कॉम्बेट ट्रेनिंग सेंटर और एडवांस डिफेंस‌ डेवलपमेंट सेंटर भी जाएंगे. आपको बता दें कि थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे का ये दौरा इस मायने में बेहद अहम है कि दक्षिण कोरिया के चीन से संबंध थोड़ा तल्ख रहे हैं. क्योंकि चीन हमेशा से दक्षिण कोरिया के पड़ोसी और प्रतिद्धंदी, उत्तर कोरिया और उसके सनकी तानाशाह, किम जोंग उन का समर्थन करता रहा है. इसके साथ-साथ दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सेना की मौजूदी भी चीन को कभी नहीं भाती है. इसीलिए मिलिट्री-डिप्लोमेसी के लिहाज से भी भारत के लिए ये दौरा बेहद अहम है.


गौरतलब है कि भले ही दक्षिण कोरिया एक शांतिप्रिय देश हो लेकिन अपने दुश्मनों को कुचलना बेहद अच्छे से जानता है. वर्ष 2017 में जब उत्तर कोरिया लगातार बैलस्टिक मिसाइलों के परीक्षण से दुनिया की नाक में दम कर रहा था तब एबीपी न्यूज की टीम कोरियाई सरकार के आमंत्रण पर ठीक उसी कॉम्बेट ट्रेनिंग सेंटर में गई थी जहां थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे जा रहे हैं. उस वक्त दक्षिण कोरियाई सेना ने अपने टैंक और तोप की फायर-पॉवर का प्रदर्शन किया था. उस दौरान कोरियाई सेना के एक टैंक ने एक कार को कुचल कर दिखाया था और साफ संदेश दिया‌ था कि उत्तर कोरिया हो या कोई और देश, जो भी दक्षिण कोरिया की तरफ आंख उठाकर देखेगा, उसे चकनाचूर कर दिया जाएगा.


दक्षिण कोरिया के हथियारों की ताकत को देखते हुए ही भारतीय सेना ने कोरिया की 100 'के9 वज्र' तोपों को अपने जंगी बेड़े में शामिल किया है और अब चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात कर रखा है. पिछले साल पाकिस्तानी सीमा पर हुए 'सिंधु-सुदर्शन' युद्धभ्यास में इन के9 वज्र तोपों ने हिस्सा लिया था. इसके अलावा कोरिया ने भारत को एंटी-एयरक्राफ्ट गन, 'बिहो' देने की पेशकश की है जिसअ हान्वा कंपनी ने तैयार किया है. इस गन का इसी साल के शुरूआत में लखनऊ में हुए डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया था.


इसके अलावा जनरल नरवणे दक्षिण कोरिया की राजधानी, सियोल स्थित युद्ध-स्मारक जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इस वॉर मेमोरियल में कोरियाई युद्ध(1950-53) में वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सैनिकों के लिए एक अलग मेमोरियल बनाया गया है. भारतीय सेना ने कोरियाई युद्ध में शांतिदूत बनकर अपना एक मिलिट्री फील्ड‌-हॉस्पिटल भेजा था ताकि युद्ध में घायल हुए सैनिकों का उपचार किया जा सके. इस‌ सराहनीय कार्य के लिए हाल ही में कोरियाई सरकार ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल ए. जी. रंगराज को 'वॉर हीरो' के अवार्ड से नवाजा था.


साउथ चाइना सी (दक्षिण चीन सागर) में चीन की बढ़ती दादागिरी और उत्तर कोरिया से दुश्मनी के चलते दक्षिण कोरिया के लिए समुद्री-मार्ग की सुरक्षा भी बड़ी चिंता का विषय बन गया है. इसके अलावा समुद्री-लुटेरों का खतरा भी हमेशा से बना रहता है. इन्हीं वजहों से दक्षिण कोरिया हिंद महासागर क्षेत्र में भारत को एक महत्वपूर्ण और करीबी मित्र-देश मानता है.


जब से चीन के साथ भारत का लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पर विवाद शुरू हुआ है तभी से सेना प्रमुख मित्र-देशों की यात्रा कर रहे हैं. इनमें म्यांमार, नेपाल, सऊदी अरब और यूएई शामिल हैं.


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