दिल्ली: थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे अगले महीने की शुरूआत में नेपाल के दौरे पर जाएंगे. नेपाल में उन्हें नेपाली सेना के ‘हॉनोरेरी जनरल’ के रैंक से नवाजा जाएगा. थलसेनाध्क्ष का ये दौरान ऐसे समय में होने जा रहा है जब दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों में पिछले छह महीने से तनाव बना हुआ है.


नेपाली सेना के प्रवक्ता, ब्रिगेडियर एस बी पौदयाल ने बयान जारी कर कहा कि नेपाल सरकार ने इस साल 3 फरवरी को भारत के थलसेना प्रमुख की नेपाल यात्रा की मंजूरी दे दी थी. लेकिन दोनों देशों में लॉकडॉउन के चलते इस स्थगित कर दिया गया था. अब जनरल मनोज मुकुंद नरवणे नबम्बर के महीने में नेपाल के दौरे पर आएंगे (हालांकि, अभी तारीख तय नहीं हुई है कि ये दौरा कब से कब तक होगा लेकिन माना जा रहा है कि नबम्बर के पहले हफ्ते में जाएंगे).


जनरल नरवणे को नेपाली सेना के ‘हॉनोरेरी-जनरल’ का रैंक प्रदान करेंगी


ब्रिगेडियर पौदयाल के मुताबिक, नेपाल दौरे के दौरान नेपाली राष्ट्रपति श्रीमती विद्या देवी भंडारी एक अंलकृण समारोह में जनरल नरवणे को नेपाली सेना के ‘हॉनोरेरी-जनरल’ का रैंक प्रदान करेंगी. आपको बता दें कि आजादी के बाद से ही भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच सैन्य परंपरा रही है कि दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सेनाध्यक्ष को हॉनोरेरी-जनरल की रैंक दी जाती है. जिस तरह से जनरल नरवणे को हॉनोरेरी-जनरल की रैंक दी जाएगी उसी तरह से नेपाली सेना के प्रमुख को भी भारतीय सेना के हॉनेरेरी-जनरल की रैंक प्रदान की जाती है.


आपको बता दें कि मई के महीने में भारत के कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में धारचूला से लिपूलेख दर्रे तक नए सड़क के निर्माण से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था. ये इलाका भारत-चीन और नेपाल के ट्राई-जंक्शन पर स्थित है. नेपाल भी लिपूलेख और उससे सटे कालापानी इलाके पर अपना अधिकार जताता आया है.


नेपाल सरकार के नया नक्शा जारी करने के बाद दोनों देशों में आई थी दरार 


इस विवादित इलाके को लेकर दोनों देशों के बीच में राजनयिक स्तर पर बातचीत भी होती आई है. लेकिन नेपाल की कम्युनिस्ट-सरकार ने आनन-फानन में एक नया मैप (नक्शा) जारी कर लिपूलेख और कालापानी इलाके को अपने अधिकार-क्षेत्र में दिखा दिया था, जिससे दोनों देशों के संबंधों में दरार आ गई थी.


इस बीच जनरल नरवणे ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि कि नेपाल किसी दूसरे देश के बहकावे में आकर भारत विरोधी बातें कर रहा है. उनका इशारा सीधे तौर से चीन की तरफ था. क्योंकि उसी समय पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन के खिलाफ टकराव शुरू हुआ था. लेकिन अब जनरल नरवणे के दौरे से दोनों देशों के बीच संबंध एक बार फिर पटरी पर लौटने की उम्मीद है.


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