नई दिल्ली: चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने आज कहा कि पूर्वी लद्दाख में टकराव के सभी बिंदुओं से सैनिकों की पूरी तरह वापसी हुए बिना तनाव में कमी नहीं आ सकती और भारतीय सेना हर तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. 


जनरल नरवणे ने न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई भाषा’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत दृढ़ता से और बिना उकसावे वाले तरीके से चीन के साथ इस मामले से निपट रहा है ताकि पूर्वी लद्दाख में उसके दावों की शुचिता सुनिश्चित हो और वह विश्वास बहाली के कदम उठाने को भी तैयार है. 


पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध शुरू हुए एक साल से अधिक समय हो गया है. गत वर्ष पांच मई को गतिरोध शुरू हुआ था और इस दौरान 45 साल में पहली बार संघर्ष में दोनों पक्षों के सैनिक मारे गये थे. उन्होंने पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों की पूरी तरह वापसी की दिशा में सीमित प्रगति की है, वहीं अन्य बिंदुओं पर इन कदमों के लिए बातचीत में गतिरोध बना हुआ है. 


जनरल नरवणे ने कहा कि इस समय भारतीय सेना ऊंचाई वाले क्षेत्र में सभी महत्वपूर्ण इलाकों में नियंत्रण बनाकर रख रही है और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए उसके पर्याप्त जवान हैं, जिन्हें ‘आरक्षित’ रखा गया है.


सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारा रुख बहुत स्पष्ट है कि टकराव के सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी हुए बिना टकराव की स्थिति कम नहीं हो सकती. भारत और चीन ने सीमा संबंधी कई समझौतों पर दस्तखत किये हैं, जिनका चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने एकपक्षीय तरीके से उल्लंघन किया है.’’


सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अमन-चैन चाहते हैं और विश्वास बहाली के कदम उठाने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम हर तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं.’’ उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा पर हालात नियंत्रण में हैं और चीन के साथ अगले दौर की सैन्य वार्ता में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. 


जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘भारतीय सेना का रुख पूरी तरह स्पष्ट है कि क्षेत्र का किसी तरह का नुकसान या यथास्थिति में एकपक्षीय बदलाव की इजाजत नहीं दी जाएगी. हम चीन के साथ दृढ़ता से और बिना उकसावे वाले तरीके से निपट रहे हैं ताकि पूर्वी लद्दाख में हमारे दावों की शुचिता बनी रहे.’’


हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों में गतिरोध का समाधान कब तक संभव है, इस प्रश्न के उत्तर में सेना प्रमुख ने कहा कि समय-सीमा का आकलन करना मुश्किल है.  उन्होंने पिछले साल जून में गलवान घाटी में हुए संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भारतीय सेना दोनों देशों के बीच सभी प्रोटोकॉलों और समझौतों का पालन करती है. वहीं पीएलए ने गैर-परंपरागत हथियारों का इस्तेमाल करके और बड़ी संख्या में सैनिकों को जुटाकर हालात को तनावपूर्ण बनाया.’’


गलवान घाटी में संघर्ष के बाद भारत और चीन के संबंधों में तनाव बढ़ गया था. संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने हजारों की संख्या में सैनिकों को और युद्ध टैंकों और अन्य बड़े हथियारों को इलाके में पहुंचा दिया. जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘जब दो देशों के बीच बड़े गतिरोध की स्थिति में दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हों तो विश्वास का स्तर कम होता ही है. हालांकि, हमारा प्रयास हमेशा से रहा है कि विश्वास कम होने से बातचीत की प्रक्रिया बाधित नहीं होनी चाहिए.’’


क्षेत्र में किसी भी तरह का तनाव बढ़ने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में से सैनिकों की वापसी पर समझौते के बाद चीनी पक्ष ने कोई उल्लंघन नहीं किया है और किसी अप्रिय घटना के आसार कम हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस समय दोनों पक्षों के सैनिकों की संख्या लगभग पिछले साल की तरह ही है और भारतीय सेना क्षेत्र की स्थिति से अवगत है. 


उन्होंने कहा, ‘‘आप आत्मसंतुष्ट नहीं रह सकते.’’ सेना प्रमुख ने कहा कि एलएसी से करीब 1,000 किलोमीटर दूर गहन क्षेत्रों में स्थित पीएलए के प्रशिक्षण केंद्रों पर भी नजर रखी जा रही है. संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी के आसपास दोनों पक्षों के अलग-अलग 50 से 60 हजार सैनिक हैं. 
पिछले साल पांच मई को गतिरोध शुरू होने के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा किया.


सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद हुए समझौते के तहत यह किया गया. दोनों पक्ष 11 दौर की सैन्य वार्ता कर चुके हैं, जिनका उद्देश्य टकराव के बिंदुओं से सैनिकों की वापसी और तनाव कम करना है. दोनों देशों की सेनाएं इस समय टकराव के बाकी बिंदुओं से सैनिकों की पूरी तरह वापसी की प्रक्रिया को बढ़ाने पर वार्ता में शामिल हैं. टकराव के शेष बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की दिशा में कोई प्रगति नहीं दिखाई दी. चीनी पक्ष ने नौ अप्रैल को बातचीत के अंतिम दौर में कोई लचीलापन नहीं दिखाया था. चीनी सेना इस समय लद्दाख क्षेत्र के पास अपने प्रशिक्षण वाले इलाकों में अभ्यास कर रही है.