‘नए खतरों' के बीच आर्मी चीफ एम.एम. नरवणे ने कहा- आक्रामकता बनाए रखने की है जरूरत
आर्मी चीफ की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब रक्षामंत्री राजनाथ सिहं ने संसद में कहा कि पूर्वी लद्दा में तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन की सेना पैंगोंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिणी तट से हट रही है.
देश की सीमाओं पर 'वास्तविक और वर्तमान खतरों' को देखते हुए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने गुरुवार को कहा कि भारत के आक्रामक रुख को और मजबूत करने की जरूरत है. आर्मी चीफ की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन की सेना पैंगोंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिणी तट से हट रही है.
सेंटर ऑर लैंड वॉरफेयर स्टडीज की तरफ से आयोजित सेमिनार शीर्षक ‘मल्टी डोमेन ऑपरेशंस: फ्यूचर ऑफ कन्फ्लिक्ट्स’ में आर्मी चीफ ने कहा- हमारी उत्तरी सीमाओं के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसको लेकर हमें अपनी सीमा के बारे में विचार करना चाहिए… सीमाओं के सही निर्धारण नहीं होने के परिणामस्वरूप हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के संरक्षण के संबंध में चुनौतियां हैं. बिना संदेह के आगे नए खतरे हैं, लेकिन कठिन वास्तविकता यह है कि विरासत की चुनौतियां काफी दूर नहीं गई हैं"
सेना प्रमुख ने कहा कि चुनौतियां तीव्रता और बड़े पैमाने पर बढ़ी हैं. मल्टी डोमेन ऑपरेशंस के बारे में बात करते हुए आर्मी चीफ नरवण ने कहा कि भारत को गतिरोध में विरोधियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि टैंकों, फाइटर जेट्स और सतही लड़ाकू विमानों जैसे प्लेटफॉर्म, जो कभी 20वीं सदी के युद्ध के मैदान का मुख्य आधार थे, उन्हें नए डोमेन में उभरती युद्धक्षेत्र चुनौतियों के सामने अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण आंका गया.
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