भारत में 'इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस कमांड' के बनने से ईरान जैसी घटना नहीं होगी- आर्मी चीफ
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. हाल ही में ईरान ने गलती से यूक्रेन के एक विमान को मार गिराया है. थल सेना चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे से जब पूछा गया कि भारत में इस तरह की घटना को कैसे रोकी जाए तो उन्होंने कहा कि अगर देश में एकीकृत एयर डिफेंस कमांड बनती है तो ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.
नई दिल्ली: आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. यहां उन्होंने तमाम मसलों पर भारतीय सेना की बात कही. इसी दौरान एक प्रश्न के दौरान उन्होंने कहा कि भारत में अगर एकीकृत एयर डिफेंस कमांड बनी तो यूक्रेन के यात्री विमान को जिस तरह से ईरान में अनजाने में मार गिराया गया वैसी घटना यहां नहीं होगी. एबीपी न्यूज के इस सवाल पर कि अगर भारत में 'फोग ऑफ वॉर' यानी युद्ध की कभी परिस्थिति बनती है तो सेनाएं ऐसी गलती से कैसी बच सकती हैं, इस पर सेना प्रमुख ने कहा कि हाल ही में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) ने सेना के तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की साझा एयर डिफेंस कमान बनी है जिसे बेहद मजबूत बनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि हमें अपनी ट्रेनिंग इतनी परिपक्व बनानी होगी जिससे ऐसी गलती ना हो.
शनिवार को ईरान ने इस बात का कबूलनामा किया है कि 8 जनवरी की सुबह राजधानी तेहरान के करीब उड़ने के तुरंत बाद ही यूक्रेन का जो यात्री विमान क्रैश हुआ था वो दरअसल ईरान की मिसाइल मारने के कारण ही गिर गया था. इस विमान में कुल 176 लोग सवार थे जो सभी मारे गए. ईरान के सेना प्रमुख ने कहा कि ये विमान ईरान के संवदेनशील मिलिट्री बेस के करीब उड़ान भर रहा था जो 'मानवीय गलती' की वजह से क्रैश हो गया.
दरअसल, यात्री विमान को गलती से मिसाइल से मारे गिराने से कुछ देर पहले ही ईरान ने ईराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर बैलेस्टिक मिसाइल से हमला किया था. इसी दौरान यूक्रेन का यात्री विमान तेहरान की एयरपोर्ट से उड़ा था. ईरान ने इस यात्री विमान को अमेरिका का कोई फाइटर जेट या फिर ड्रोन समझकर मिसाइल से हमला कर दिया. ईरान की मानवीय भूल के चलते 176 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा.
ईरान की तरह ही एक घटना बालाकोट एयर-स्ट्राइक के अगले दिन यानी 27 फरवरी 2019 को श्रीनगर में हुई थी. वायुसेना की एक मिसाइल ने अपने ही एक मी-17 हेलीकॉप्टर को मार गिराया था जिसमें पायलट सहित सात लोगों की जान चली गई थी. आपको बता दें कि सीडीएस का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद से ही जनरल बिपिन रावत ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि 30 जून तक तीनों सेनाओं का एक साझा एयर-डिफेंस कमांड बनाने का प्रस्ताव तैयार किया जाए.
अभी तक थलसेना, वायुसेना और नौसेना के हवाई सुरक्षा के लिए अलग-अलग एयर डिफेंस विंग है. सीडीएस बिपिन रावत ने इंडीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (यानी आईडीएस) के अधिकारियों को आदेश दिया है कि तीनों सेनाओं का अब एक साझा एयर डिफेंस कमांड बना दिया जाए, ताकि एक से ज्यादा विंग का काम 'ओवरलैप' ना हो.
देश की हवाई सुरक्षा और प्रमुख राजनीतिक और सैन्य संस्थानों की सुरक्षा के लिए देशभर में एयर-डिफेंस सिस्टम है जो वायुसेना के अंतर्गत काम करते हैं. इस प्रणाली में रडार सिस्टम से लेकर एटीसी और पांच किलोमीटर से लेकर 500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल है. जो दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन के इस सीमा में दाखिल होते ही लॉक कर मार गिरा सकती है. जल्द ही वायुसेना को रूस से मिलने वाली दुनिया की सबसे घातक मिसाइल प्रणाली, एस-400 भी एयर डिफेंस का ही हिस्सा है. लेकिन थलसेना में भी एलओसी और अपनी छावनियों की सुरक्षा के लिए एक पूरी एयर डिफेंस रेजीमेंट है और ठीक ऐसे ही नौसेना का भी अपना एयर डिफेंस सिस्टम है.
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