नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भारत की एकता के विचार को महसूस करने के लिए युवाओं से थल सेना में भर्ती होने की अपील की है. सेना प्रमुख ने कहा कि लोगों को छोटी-मोटी पहचान तक नहीं अटकना चाहिए, बल्कि एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए.


जनरल रावत ने कहा, "यदि आप एकजुटता महसूस करना चाहते हैं तो थल सेना में शामिल होइए और देखिए कि कैसे विभिन्न पृष्ठभूमि से आए हम लोग भारतीय के तौर पर साथ-साथ रहते हैं. पहले यह याद रखिए कि हम सभी भारतीय हैं. हमें इस बात पर गर्व है और राष्ट्र अवश्य ही सबसे पहले आना चाहिए. फिर हम एक साथ रहना सीख सकते हैं."


उन्होंने आगे कहा, "हम भारतीय हैं और हम खुद को बंगाली, या असमी, या अरूणाचली नहीं पुकारते." रावत असम और अरूणाचल प्रदेश के 27 युवाओं से बात कर रहे थे, जो 'राष्ट्रीय एकीकरण यात्रा' के तहत नई दिल्ली में हैं. ये छात्र पहली बार दिल्ली आए हैं.


बाद में सेना प्रमुख ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, हमें छोटी-मोटी पहचानों के विचार से ऊपर उठना होगा और खुद को भारतीय के तौर पर देखना होगा. उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि यदि उग्रवाद से कोई क्षेत्र प्रभावित होगा तो विकास नहीं हो सकता. उन्होंने भारतीय युवाओं से कड़ी मेहनत करने और शिक्षक, इंजीनियर और डॉक्टर बन कर राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में सक्रियता से योगदान देने का अनुरोध किया.


जनरल रावत ने यह भी कहा, फिर अपने गांव जाइए और उनकी सेवा कीजिए. असम में कई अच्छे स्कूल हैं लेकिन पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं. यदि गांवों में अस्पताल हैं तो पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं. छात्रों ने सेना प्रमुख को एक गमशा (गमछा) भेंट किया जो एक पारंपरिक असमी वस्त्र है. साथ ही एक पांरपरिक 'ट्रे' भी भेंट किया जिसके निचले हिस्से में एक स्टैंड है.


युवाओं के समूह के साथ मौजूद थल सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इन 27 युवकों में 25 असम से हैं जबकि 2 अरूणाचल प्रदेश से हैं. अधिकारी ने बताया, हम ट्रेन से पहले दिल्ली पहुंचे और फिर हम जयपुर और आगरा गए. जयपुर में हम हवा महल, अल्बर्ट हॉल और आमेर किला गए. आगरा में हमने ताजमहल और आगरा का किला देखा. दिल्ली में हम लाल किला, कुतुब मीनार, बिड़ला मंदिर और नेशनल साइसं सेंटर गए. गौरतलब है कि 'राष्ट्रीय एकीकरण यात्रा' थल सेना के 'राष्ट्र पहले की भावना' को बढ़ाने के कार्यक्रम के तहत आयोजित की गई.