नई दिल्ली: चीन से चल रहे टकराव के बीच सोमवार को राजधानी दिल्ली में सेना का दो-दिवसीय आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस शुरू हुआ. थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के नेतृत्व में इस‌ बैठक में चीन और पाकिस्तान दोनों ‌से सटी सीमाओं पर चल रहे मौजूदा हालात की समीक्षा की जा रही है.


दो दिनों के दौरान सेना के शीर्ष कमांडर देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गहनता से विचार कर रहे हैं और साझा फैसला लेंगे, क्योंकि इस मीटिंग में सभी फैसले कॉलेजिएट सिस्टम से लिए जाते हैं. सेना ने इस बैठक के बारे में सोमवार को ट्वीट कर कहा है, "आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस एसीसी-20 22-23 जून के बीच चल रहा है, जिसमें उत्तरी (चीन) और पश्चिमी (पाकिस्तानी) सीमाओं के हालत की समीक्षा की जा रही है."


इस बैठक में सेनाध्यक्ष समेत थलसेना की सातों कमान के कमांडर्स और पीएसओ यानी प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर्स हिस्सा लें रहे हैं. इस बैठक में चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों की स्थिति की समीक्षा की जा रही है. यानी टू-फ्रंट वॉर की स्थिति के लिए भी कैसे सेना तैयार रहेगी उसपर चर्चा हो रही है.


खास बात ये है कि ये कमांडर्स सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब सीमा पर चीन से गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद जरदस्त टकराव चल रहा है. हालांकि, हर छह महीने में ये बैठक होती है, लेकिन इस‌ बार ये ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस बैठक का पहला चरण मई महीने में हुआ था (27-29 मई).


सोमवार को सम्मेलन की शुरूआत थलसेना प्रमुख के भाषण से हुई. इस भाषण में जनरल एम एम नरवणे ने चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की सुरक्षा के बारे में सभी कमांडर्स को अवगत कराया. सेनाध्यक्ष का जोर वेस्टरर्न बॉर्डर यानी पाकिस्तान और नॉर्दन बॉर्डर यानी चीन सीमा पर टकराव और सेना की तैयारियों को लेकर था.


बैठक में सबकी निगाहें उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ), लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी पर लगी थीं. क्योंकि उत्तरी कमान के अधिकार क्षेत्र में ही लद्दाख से सटी चीन सीमा और गलवान घाटी आती है. साथ ही पाकिस्तान से सटे एलओसी, करगिल और सियाचिन भी उत्तरी कमान के अंतर्गत आता है. वाई के जोशी करगिल युद्ध के हीरो रह चुके हैं और 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के समय एडिशनल डीजीएमओ के पद पर थे. 'एलओसी-करगिल' फिल्म में वाई के जोशी का रोल संजय‌ दत्त ने किया था.


दूसरी निगाह लगी थी कोलकता स्थित पूर्वी कमान पर, जिसके अंतर्गत उत्तरी सिक्किम से सटी चीन सीमा आती है. पूर्वी कमान की जिम्मेदारी इन दिनों लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के पास है, जो यहां तैनात होने से पहले डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) रह चुके हैं.


थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे के नेतृत्व में चलने वाली दो दिवसीय आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस मंगलवार को भी जारी रहेगी.


ये माना जा रहा है कि आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद थलसेना प्रमुख लेह लद्दाख का दौरा करेंगे. इस दौरान वे लेह स्थित 14वीं कोर (फायर एंड फ्यूरी) का दौरा कर सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लेंगे. वे गलवान घाटी में घायल हुए सैनिकों से भी अस्पताल में जाकर मुलाकात कर सकते हैं.


इस बीच सोमवार को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बैठक एलएसी पर हुई. दोनों देशों के कोर कमांडर्स के बीच ये दूसरी बड़ी बैठक है. पहली बैठक 6 जून के हुई थी. ये मीटिंग इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद हो रही है. सुबह 11.30 बजे शुरू हुई ये मैराथन बैठक देर शाम 9 बजे तक चलती रही (खबर लिखे जाने तक जारी थी).


भारत की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. जबकि चीन की तरफ से दक्षिणी शिंचियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर, मेजर जनरल लियु लिन हैं. मीटिंग वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी पर चीन की तरफ मोलडो में बनी बॉर्डर पर्सनैल मीटिंग (बीपीएम) हट में चल रही है, जो भारत की चुशूल स्थित बीपीएम हट से सटी हुई है.


पैंगोंग त्सो लेक से मोलडो की दूरी करीब 18 किलोमीटर है. क्योंकि चीन ने इस बैठक का अनुरोध किया है ऐसे में ये चीन की तरफ वाली बीपीएम हट में हो रही है.


आपको बता दें कि इस मीटिंग में भारत की तरफ से मुख्य मुद्दा फिंगर एरिया को लेकर है. क्योंकि मई महीने के शुरूआत से दोनो देशों की सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (यानी एलएसी) पर जो फेसऑफ चल रहा है, उसमें सबसे ज्यादा तनाव पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर एरिया में ही है.


सोमवार को होने वाली मीटिंग में गलवान घाटी और गोगरा पोस्ट के करीब चल रही तनातनी पर भी बातचीत चल रही है, ताकि लद्दाख से सटी पूरी भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं डिसइंगेज हो जाए और तनाव खत्म हो जाए.


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