नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच तनातनी को लेकर बड़ी खबर आई है. आज सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे के साथ आर्मी कमांडर्स की बैठक चल रही है. इस बैठक में चीन को लेकर भी चर्चा हुई है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी. ये बैठक इसलिए अहम है क्योंकि इसमें सेना की ऑपरेशनल तैयारियों पर बात हो रही है. इससे पहले मंगलवार को पीएम मोदी ने सीमा पर चीन के साथ बढ़ रही तनातनी पर चर्चा की थी. इस दौरान तीनों सेना ने अपनी तैयारियों का ब्लूप्रिंट दिया था.
दरअसल सीमा पर भारत इन दिनों सक्रिय है. भारत अपने इलाके में सड़कें बना रहा है. भारत के इस कदम से चीन की नींद उड़ी हुई है. चीन चाहता है कि भारत इस निर्माण कार्य को रोक ले. लेकिन भारत ने चीन के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
मई महीने में कई बार भारत और चीन की सेना आमने सामने हो चुकी है. 5 मई को लद्दाख में पैंगोंग झील के पास दोनों देशों के 250 सैनिकों के बीच टकराव हुआ. 9 मई को सिक्किम के नाकुला बॉर्डर पर भारत-चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए. बाद में चीनी सैनिकों को वापस जाना पड़ा. इसके अलावा 10 मई को लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिक आगे आए तो भारतीय सेना ने उन्हें वापस जाने पर मजबूर कर दिया. 12 मई को हो गई जब लद्दाख बॉर्डर के पास चीनी हेलीकॉप्टर उड़ते देखे गए. भारत ने इस पर भी अपनी चौकसी दिखाई.
उधर मंगलवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बड़ा बयान दिया. जिनपिंग ने अपनी सेना से कहा है कि संप्रभुता को बनाए रखने के लिए तैयार रहें. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, शी ने सेना को आदेश दिया कि वह सबसे खराब स्थिति की कल्पना करे, उसके बारे में सोचे और युद्ध के लिए अपनी तैयारियों और प्रशिक्षण को बढ़ाए, तमाम जटिल परिस्थितियों से तुरंत और प्रभावी तरीके से निपटे. साथ ही पूरी दृढ़ता के साथ राष्ट्रीय सम्प्रभुता, सुरक्षा और विकास संबंधी हितों की रक्षा करे.
In Detail: जानें क्या है भारत और चीन के बीच टकराव की असली वजह