नई दिल्ली: 15 जनवरी का दिन भारतीयों के लिए बेहद खास है. इस दिन भारतीय थल सेना आर्मी डे के रूप में मनाती है. 15 जनवरी को आर्मी डे मनाने के पीछे दो बड़े कारण हैं. पहला ये कि 15 जनवरी 1949 के दिन से ही भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हुई थी. दूसरी बात इसी दिन जनरल केएम करियप्पा को भारतीय थल सेना का कमांडर इन चीफ बनाया गया था. इस तरह लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे. के. एम. करिअप्पा ‘किप्पर’ नाम से काफी मशहूर रहे. इन्हें 1948 को आर्मी कमांडर बनाया गया, जबकि इससे पहले ये लेफ्टिनेंट जनरल पद पर तैनात थे. हालांकि इसी बीच इन्होंने 1949-1959 तक राजपूत रेजीमेंट के लिए कर्नल के तौर भी सेवाएं दीं.


कैसे मनाया जाता है आर्मी डे


इस दिन दिल्ली की इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है. साथ ही शहीदों की विधवाओं को या परिवारवालों को सेना मेडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करती है. भारतीय आर्मी का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में किया था. आज भारतीय आर्मी के 53 कैंटोनमेंट और 9 आर्मी बेस हैं.


आर्मी डे पर बनेगा इतिहास


इस बार का आर्मी डे एतिहासिक होगा. इस बार भारतीय सेना में वो होने जा रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ था. पहली बार देश की कोई महिला ऑफिसर सेना दिवस पर आर्मी परेड को लीड करने वाली हैं. लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी इस बार परेड कर कीर्तिमान स्थापित करेंगी. जिस टुकड़ी को भावना लीड करेंगे उस टुकड़ी में 144 जवान शामिल हैं. भारतीय सेना में आने की प्रेरणा भावना कस्तूरी को एनसीसी से मिला. सेना में ऑफिसर बनने से पहले कस्तूरी नेशनल कैडेट कॉर्प्स का हिस्सा थीं. इसके बाद उन्होंने एनसीसी के जरिए ही आर्मी का स्पेशल एंट्री एग्जाम पास किया और साल 2015 में भारतीय सेना का हिस्सा बनीं.