नई दिल्लीः पाकिस्तान पर जमकर बरसते हुए आज थलसेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने चेतावनी दी कि भारत के पास आतंकवाद से लड़ने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं और भारतीय सेना उनके इस्तेमाल में जरा भी नहीं हिचकिचाएगी. साथ ही उन्होनें कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि इससे ना केवल कश्मीर बाकी देश के साथ मुख्यअर्टिकल में शामिल होगा बल्कि घाटी में अशांति फैलाने की पाकिस्तान की कोशिशें भी असफल हुई हैं.


थलसेनाध्यक्ष जनरन नरवणे सेना दिवस के मौके पर आज राजधानी दिल्ली में सैनिकों को संबोधित कर रहे थे. इसी मौके पर देश के लिए जान देने वाले वीर सैनिकों की शहादत को याद करते हुए उन्होनें कहा कि हमारे देश की चाहे पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान से सटी हुई) या फिर उत्तरी सीमा हो (चीन से सटी हुई) सभी सुरक्षित हैं.


उन्होंने कहा कि हमारे देश के सैनिक उनकी सुरक्षा कर रहे हैं. इस दौरान वहां पर नौसेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस, जनरल बिपिन रावत मौजूद थे.


'आर्टिकल 370 हटने से पाकिस्तान के मंसूबों पर फिरा पानी'


इस दौरान उन्होनें सख्त लहज़े में कहा कि कश्मीर में अर्टिकल 370 हटने से पाकिस्तान के मंसूबों पर पर पानी फिर गया है. उनका इशारा अर्टिकल 370 हटने के बाद घाटी में शांति की तरफ था. जनरल नरवणे ने कहा कि अर्टिकल 370 हटाए जाना एक ऐतिहासिक कदम है और इससे कश्मीर बाकी देश के साथ मुख्यअर्टिकल में जुड़ जाएगा.


आंतकवाद पर बिना पाकिस्तान का नाम लेकर थलसेना प्रमुख ने कहा कि भारत के पास आतंकवाद से लड़ने के कई विकल्प हैं. दरअसल, पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में एयर-स्ट्राइक के बाद लगातार ये सवाल किया जा रहा है कि भारत का अगला कदम क्या होगा अगर पाकिस्तान की तरफ से प्रोक्सी-वॉर यानि भारत के खिलाफ आतंकवाद को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना बंद नहीं किया गया तो. उसी के जवाब में जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना के पास कई विकल्प मौजूद हैं.


भारतीय सेना का 72वां स्थापना दिवस आज


भारतीय सेना आज अपना 72वां स्थापना दिवस मना रही है. आज ही कि दिन 1949 में यानि 15 जनवरी 1949 को पहले भारतीय कमांडर को भारतीय सेना की कमान सौंपी गई थी. भारतीय सेना के पहले भारतीय प्रमुख थे, जनरल के एम करिएप्पा, जिन्हें बाद में फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी. 1947 में देश आजाद होने के बाबजूद भी करीब डेढ़ साल तक (15 अगस्त 1947-15 जनवरी 1949) ब्रिटिश अफसर (जनरल आर. बुचर) ही भारतीय सेना के प्रमुख थे.


इस मौके पर राजधानी दिल्ली के कैंट स्थित करिएप्पा परेड ग्राउंड में एक भव्य परेड का आयोजन किया गया. परेड में सेना की अलग अलग टुकड़ियों ने मार्च पास्ट में हिस्सा लिया. साथ ही सेना के आधुनिक हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान को भी इस परेड में शामिल किया गया था.


परेड में शामिल हुआ बज्र तोप


परेड में पहली बार हाल ही में दक्षिण कोरिया से ली गई के9 बज्र तोप को शामिल किया गया. इसके साथ ही टी-90 टैंक और सैटेलाइट आधारित कम्युनिकेशन सिस्टम भी शामिल थे.


लेकिन परेड का सबसे बड़ा आकर्षण था कैप्टन तानिया शेरगिलस जो परेड में एडजुयटेंट के तौर पर कमान संभाले हुए थीं. सिग्नल कोर की अधिकारी कैप्टन तानिया अपने खानदान की चौथी पीढ़ी की आर्मी ऑफिसर हैं. उनके पिता आर्टलरी-अधिकारी थे तो दादा आर्मर्ड (टैंक) ऑफिसर थे. कैप्टन तानिया के पड़दादा सिख रेजीमेंट के अधिकारी थे. कैप्टन तानिया आर्मी-डे के साथ साथ इस साल गणतंत्र दिवस परेड का भी हिस्सा हैं.


आर्मी डे परेड में सेना ने अपनी ताकत का नमूना भी पेश किया. इसके लिए किस तरह सेनाएं 19वीं सदी में कैसे लड़ाई लड़ती थी वो तो दिखाया ही गया आधुनिक युद्धकला को दर्शाया गया जिसमें टैंक, तोप, आईसीवी( इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल) और हेलीकॉप्टर्स के साथ साथ स्पेशल फोर्स के कमांडोज़ ने अपने युद्धकौशल पेश किया.


थल सेना प्रमुख ने पाक, चीन सीमाओं पर तैनात सैनिकों को हर समय सतर्क रहने को कहा