Defense Budget 2022: आम बजट (General Budget) से पहले ही सेना अपनी 'विशलिस्ट' सरकार को सौंप चुकी है. इस 'इच्छा-सूची' को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) और वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) सेना की 'मिनिमम रिक्वायरमेंट' यानि जरूरी आवश्यकताओं को देखते हुए रक्षा बजट (Defense Budget) तैयार करता है. क्योंकि, ये विशलिस्ट देश की सुरक्षा से जुड़ी होती है इसलिए बेहद गोपनीय होती है और इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता है.


भारतीय सेना यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना टू-फ्रंट वॉर यानि दो-दो मार्चों पर तैनात रहती हैं. भारत का सबसे पुराना सीमा विवाद दो-दो पड़ोसी देश-चीन और पाकिस्तान से चल रहा है. ऐसे में भारतीय सेनाओं को दोनों ही सीमाओं पर अपने आप को सैन्य तौर से तैयार रखने की जरूरत पड़ती है.


हालांकि भारत का रक्षा बजट दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा रक्षा बजट होता है (अमेरिका, चीन, सऊदी अरब और रूस के बाद) लेकिन रक्षा मामलों से जुड़े जानकार चीन के मुकाबले इसे काफी कम मानते हैं. रक्षा जानकार मानते हैं कि चीन का रक्षा बजट उसके जीडीपी का करीब 3 प्रतिशत है जबकि भारत में रक्षा बजट अपने जीडीपी का मात्र 1.58 प्रतिशत है.


साथ ही कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों में भी आतंकवाद के रूप में भारत को प्रोक्सी-वॉर झेलना पड़ता है. ऐसे में भारतीय सेनाओं को ना केवल अपने आप को सैन्य तौर से मजूबत करना है बल्कि अपनी क्षमताओं को और अधिक बढ़ाए जाने की भी उम्मीद है.


खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व वाली सरकार भी सेनाओं को साफ कर चुकी है कि रक्षा बजट का बेहतर उपयोग किया जाना चाहिए. बजट का एक बड़ा हिस्सा अभी भी सरकार को सैनिकों के वेतन और पेंशन पर खर्च करना पड़ता है. इसलिए सैन्य आधुनिकिकरण और सैलरी-पेंशन में तालमेल बिठाना हमेशा से ही एक टेढ़ी खीर रही है.


एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच पिछले साल यानि 2021-22 में रक्षा बजट में सेनाओं के लिए हथियारों और दूसरे सेैन्य-साजो सामान खरीदने के लिए कैपिटल-बजट में करीब 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी. हालांकि, कुल रक्षा-बजट में पिछले साल के मुकाबले मामूली बढ़त हुई है थी. पिछले 15 सालों में ये पहली बार हुआ था कि कैपिटल बजट में इतना बड़ा इजाफा हुआ था. इससे पहले तक कैपिटल बजट में मात्र 6-7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी ही देखी जाती थी.


पिछले साल रक्षा बजट करीब 4.78 लाख करोड़ था , जबकि 2020-21 में ये 4.71 लाख करोड़ था. रक्षा बजट के 4.78 लाख करोड़ में 1.35 लाख करोड़ कैपटिल-बजट (पूंजीगत-व्यय) के लिए रखा गया था यानि सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के हथियार खऱीदने और दूसरे आधुनिकिकरण के लिए. जबकि वर्ष 2020-21 में कैपिटल बजट 1.13 लाख करोड़ था. कैपिटल बजट में इस साल सबसे ज्यादा हिस्सा वायुसेना को मिला था--करीब 53 हजार करोड़. जबकि थलसेना को मिला था 36 हजार करोड़ और नौसेना को 37 हजार करोड़.


जानकारी के मुताबिक, पिछले रक्षा बजट का कैपिटल-बजट पूरा खर्च नहीं हो पाया है. ऐसे में इस साल सेना को बैले‌ंस अमाउंट भी मिल जाएगा. क्योंकि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद बैलेंस-एमाउंट को अगले बजट में जोड़ने का प्रावधान कर दिया था..उससे पहले तक बैलेंस एमाउंटे 'लैप्स' हो जाता था. क्योंकि एलएसी पर चीन से अभी भी तनाव जारी है, ऐसे में माना जा रहा है कि रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी जरूर हो सकती है.


पिछले साल रक्षा बजट में रेवेन्यू-एक्सपेंडिचर (राजस्व व्यय) यानि सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के अधीन सिविल कर्माचरियों की सैलरी और दूसरे खर्चों के लिए 2.27 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया था. माना जा रहा है कि सेना को पिछले 2-3 साल की भांति इस साल भी इमरजेंसी फंड प्राप्त होगा.


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