Helicopter Crash: मंज़िल से 16 KM पहले ही क्रैश हुआ हेलिकॉप्टर, पढ़ें CDS जनरल रावत के सफर की पूरी Timeline
Army helicopter Crash: सीडीएस जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर अगर पांच मिनट और उड़ता तो वो अपनी मंज़िल पर पहुंच जाता, लेकिन रास्ते में ही अनहोनी हो गई.
Army helicopter Crash: देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की हेलिकॉप्टर क्रैश हादसे में मौत हो गई है. सीडीएस रावत समेत 14 लोग तमिलनाडु के एयरफोर्स स्टेशन सुलूर से वेलिंगटन ले जा रहे थे, जब उनका हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हादसे में 14 में से 13 लोगों की जान चली गई है. इसकी पुष्टि निलगिरी के कलेक्टर ने की. घटना में ग्रुप कैप्टन वरुन सिंह घायल हुए हैं, उनका इलाज किया जा रहा है. बता दें कि बिपिन रावत अपनी पत्नी समेत नौ लोगों के साथ आज सुबह ही दिल्ली से तमिलनाडु के लिए रवाना हुए थे.
जनरल रावत का ऐसा था शेड्यूल
- एक स्पेशल एयरक्राफ्ट के ज़रिए बुधवार सुबह करीब 9 बजे जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत नौ लोग दिल्ली से रवाना हुए और करीब 11 बजकर 35 मिनट पर एयरफोर्स स्टेशन सुलूर पहुंचे.
- करीब 10 मिनट बाद 11 बजकर 45 मिनट पर एयरफोर्स स्टेशन सुलूर से दिल्ली से आए 9 लोग और पांच क्रू के सदस्य यानी कुल 14 लोग वेलिंगटन आर्मी कैंप के लिए हेलिकॉप्टर से रवाना हुए.
- दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर नंचापा चातरम के कट्टेरिया इलाके में 14 लोगों से भरा हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ.
- हेलिकॉप्टर ने एयरफोर्स स्टेशन सुलूर से उड़ान भरने के बाद करीब 94 किलोमीटर का सफर तय किया था जब वो और कट्टेरिया इलाके में क्रैश हो गया.
- दुर्घटनास्थल और हेलिकॉप्टर की मंज़िल में सिर्फ करीब 16 किलोमीटर का फासला बचा था. यानी वेलिंगटन आर्मी कैंप से 16 किलोमीटर पहले ही जनरल रावत का हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया.
- बड़ी बात ये है कि जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर अगर पांच मिनट और उड़ता तो वो अपनी मंज़िल पर पहुंच जाता, लेकिन रास्ते में ही अनहोनी हो गई.
देश के पहले सीडीएस हैं बिपिन रावत
जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस हैं. आर्मी चीफ के पद से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने थे. वह 31 दिसंबर 2016 को आर्मी चीफ बनाए गए थे. जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में LoC, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था. अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था.