सेना के अस्पताल का कमाल, 15 साल के बच्चे का बिना सर्जरी के हार्ट में किया वॉल्व रिप्लेसमेंट
रिसर्च एंड रेफरेल (आर एंड आर) हॉस्पिटल में एक 15 साल के लड़के को नाजुक स्थित में भर्ती कराया गया था, जिसका बिना सर्जरी हार्ट में वॉल्व रिप्लेसमेंट किया गया है.
Indian Army: देश के इतिहास में पहली बार सेना के अस्पताल ने बिना सर्जरी किए हार्ट में वॉल्व रिप्लेसमेंट करने का कमाल कर दिखाया है. सेना के आर एंड आर (R&R) हॉस्पिटल ने न केवल इस तरह के रिप्लसेमेंट करके एक 15 साल के मासूम बच्चे की जान बचाई बल्कि आने वाले समय में हाई-रिस्क हार्ट सर्जरी ना करने के लिए भी रास्ता दिखा दिया है. दिल्ली में रिसर्च एंड रेफरेल (R&R) हॉस्पिटल में एक 15 साल के लड़के को बेहद ही नाजुक स्थित में भर्ती कराया गया था. युवक को बचपन से ही कोनजिनयल हार्ट डिफेट (CHD) नाम की एक बीमारी थी.
युवक को पहले ही बचपन में दो-दो ओपन हार्ट सर्जरी करवानी पड़ी थी. इस सर्जरी के दौरान बच्चे के हार्ट में एक आर्टिफिशियल-कॉनड्यूट डाला गया था. इस कॉनड्यूट के जरिए ही बच्चे के हार्ट को ब्लड सप्लाई हो रही थी, लेकिन समय के साथ ये कॉनड्यूट खराब होने लगा और युवक की हालत लगातार बिगड़ने लगी. ऐसी स्थिति में युवक को आर एंड आर (R&R) हॉस्पिटल लाया गया.
तीसरी हार्ट सर्जरी हो सकती थी खतरनाक
सेना के मुताबिक, युवक की तीसरी हार्ट सर्जरी नहीं की जा सकती थी, क्योंकि ये काफी खतरनाक हो सकती थी. इसलिए आर एंड आर (R&R) हॉस्पिटल के पिडयाट्रिक इंटरवेंशनल कार्डियोलिजिस्ट (interventional cardiologist) के कर्नल (डॉक्टर) हरमीत सिंह अरोड़ा ने एक नए तरीके से युवक के हार्ट में आर्टिफिशियल वॉल्व को फिट किया. इसके लिए उन्होेनें युवक के ग्रोएन यानि पेट और जांघ के बीच के छोटा सा कट लगाकर ट्रांसकैथेटेर पलमोनेरी वॉल्ट ट्रांसप्लांट किया.
पहली बार हुआ ऑपरेशन
सेना के मुताबिक, गर्वमेंट सेक्टर और सशस्त्र सेनाओं में इस तरह का वॉल्व रिप्लसमेंट पहली बार हुआ है. इससे सीएचडी से ग्रस्त बच्चों के लिए इलाज के लिए एक नया रास्ता खुल गया है, जिसमें सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी और जिंदगी अधिक बेहतर हो पायेगी. डॉक्टर अरोड़ा के इस काम में डायरेक्टर जनरल ऑफ आर्म्ड फोर्सेज़ सर्विसेज़ यानि डीजी, AFMS वाइस एडमिरल (डॉक्टर) रजत दत्ता की मेंटरशिप भी मिली. डॉक्टर दत्ता खुद सेना के सबसे सीनियर कार्डियोलोजिस्ट हैं.
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