जम्मू कश्मीर में भारत और पाकिस्तान सीमा पर युद्ध विराम को घोषित हुए 1 साल पूरा हो गया है. इस 1 साल के दौरान जहां सीमा पर गोलीबारी बंद है वहीं भारतीय सेना इस दौरान सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की जिंदगी को बेहतर करने में जुटी है.
1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद जम्मू का पल्ला वाला सेक्टर हमेशा से ही पाकिस्तान द्वारा की गई गोलीबारी का दंश झेलता रहा है. पाकिस्तान की तरफ से हो रही लगातार गोलीबारी की वजह से इस गांव के लोग ना तो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाए और ना ही यहां पर विकास हुआ.
युवाओं में सेना में भर्ती होने को लेकर है जोश और जज्बा
लेकिन ठीक 1 साल पहले भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध विराम के बाद अब भारतीय सेना इस गांव की दिशा और दशा बदलने लगी हुई है. भारत-पाकिस्तान सीमा पर होने के कारण यहां के युवाओं में सेना में भर्ती होने का जोश और जज्बा है जिसके बाद अब से ना यहां पर युद्धविराम के चलते स्कूलों में युवाओं को सेना की तरफ जाने में प्रेरित कर रही है.
पिछले 1 साल से बंद है अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी
हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले 1 साल से जम्मू में एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी बंद है. लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान की नियत पर भरोसा नहीं किया जा सकता. यही वह वजह है कि भारतीय सेना इन इलाकों में न केवल छात्रों को सेना में जाने के लिए प्रेरित कर रही है बल्कि यहां की आम जनता को पाकिस्तान की गोलीबारी से बचने के लिए इलाके में कहीं बंकर भी बना रही है.
यह बंकर इन गांव वालों के घरों में या गांव में बनाए जा रहे हैं ताकि किसी आपातकालीन स्थिति में यह गांव वाले अपनी जान की हिफाजत कर सकें. पिछले एक साल के दौरान प्रशासन और सेना की तरफ से जम्मू में सीमावर्ती इलाकों पर चलाए जा रहे इन कामों से आम जनता के साथ-साथ जनता के प्रतिनिधि भी काफी खुश है.
सीमा पर मूलभूत सुविधाओं को बेहतर करने का काम रही है सेना
जनता के प्रतिनिधि उम्मीद करते हैं कि सीमा पर भारत और पाकिस्तान के बीच जारी युद्ध विराम जारी रहेगा ताकि विकास को जमीनी स्तर तक पहुंचाया जा सके. वहीं इस युद्ध विराम का फायदा सेना भी उठा रही है और सीमा पर अपने जवानों की मूलभूत सुविधाओं को बेहतर करने में लगातार कम हो रहा है.