Press Conference on Agnipath: मंगलवार को सेना के तीनों अंग यानि थलसेना (Army), वायुसेना (IAF) और नौसेना (Navy) ने अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) और अग्निवीरों (Agniveer) की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर साझा प्रेस कांफ्रेंस (Press Conference) की. इस प्रेस कांफ्रेंस में डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स (DMA) के एडिशनल सेक्रेटरी (Additional Secretary) , लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी (Anil Puri) भी मौजूद थे. उसी दौरान उन्होनें साफ किया कि अग्निपथ योजना लाने का मकसद सेना को युवा बनाना है, सेना को कम करना नहीं है. सेना की फाइटिंग फोर्स को कभी भी कम नहीं किया जा सकता है. सिर्फ गैर-जरुरी यानि सेना की 'टेल को जरुर कम किया जा सकता है. 


अग्निपथ योजना में अहम भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि जो लोग नौकरी के लिए सेना में आना चाहते हैं वो ना आएं. क्योंकि सेना में भर्ती जुनून और जज्बे के लिए की जाती है. आपको बता दें कि कुछ साल पहले तत्कालीन सेनाध्यक्ष, जनरल बिपिन रावत ने भी एक सार्वजनिक कार्यक्रम में ये बात कही थी कि जो नौजवान नौकरी के लिए सेना में आना चाहते हैं वो ना आएं. सेना में फिजीकली और मेटंली फिट युवा हैं आ सकते हैं जो पहाड़ जैसी चुनौतियां का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं. 


अभी अग्निपथ योजना में भर्ती के नियम बदले नहीं गए
उन्होनें साफ किया कि ये सोचना कि जो अग्निवीर मात्र चार साल के लिए सेना में आएगा उसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने और समपर्ण की भावना कम होगी, सरासर गलत है. हर अग्निवीर के पीछे एक रेगुलर सोल्जर और सूबेदार खड़ा होगा. अगर किसी ने भी सेना से भागने की कोशिश की तो सब जानते हैं कि सेना में भगोड़ों के साथ क्या किया जाता है. लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि अग्निवीर की यूनिफॉर्म से लेकर सुविधाएं तक वहीं होगी जो एक सैनिक को होती है. अगर अग्निवीर युद्ध में लड़े तो उन्हें परमवीर चक्र भी मिल सकता है. 


लेफ्टिनेंट जनरल पुरी के मुताबिक, अग्निपथ योजना में अभी तक चली आ रही भर्ती प्रक्रिया को नहीं बदला गया है. जिस तरह थलसेना में ऑल इंडिया ऑल क्लास के आधार पर भर्ती होती आई है वो वैसे ही होगी. रेजीमेंट सिस्टम भी वैसा ही चलता रहेगा. प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थलसेना के एडजुयटेंट जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल बी सी पोन्नपा ने साफ किया कि अभी भी सेना में 75 प्रतिशत भर्तियां ऑल इंडिया ऑल क्लास के आधार पर होती हैं, कुछ इंफेंट्री रेजीमेंट हैं जहां पर कैचमेंट एरिया की भर्ती ज्यादा होती है. 


सैकड़ों घंटे बैठक हुई अग्निवीर योजना के लिए 
ऐसी रेजीमेंट में अब कैचमेंट एरिया के अलावा दूसरी जगहों से भी भर्तियां की जाएंगी. प्रेस कांफ्रेंस में लेफ्टिनेंट पुरी ने बताया कि अग्निपथ योजना को आनन-फानन में नहीं लाया गया है. उन्होनें बताया कि इस योजना को लाने के लिए सेना के तीनों अंगों यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना में 500 घंटों की कुल 150 मीटिंग हुई. इसके अलावा रक्षा मंत्रालय में 150 घंटों की कुल 60 बैठक हुईं. सरकार के स्तर पर बात करें तो कुल 100 घंटों की 44 मीटिंग की गई. प्रेस वार्ता में उन्होनें स्लाइड की जरिए बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन, रुस, चीन और इजरायल जैसे देशों की सेनाओं की स्टडी करने के बाद ही अग्निवीर मॉडल को तैयार किया गया है. 


उपद्रवियों के लिए सेना में कोई जगह नहींः
मीडिया (Media) के उन रिपोर्ट्स (Reports) पर की अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) एक पायलट-प्रोजेक्ट (Pilot Project) है और अगले 4-5 साल में उसमें बदलाव लाया जा सकता है इस पर लेफ्टिनेंट जनरल पुरी (Lieutenant General Puri) ने साफ किया कि ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अभी इस योजना में 45 हजार अग्निवीरों की भर्ती (Recruitment of 45 thousend Agniveer) की जा रही है लेकिन आने वाले सालों में ये संख्या एक लाख तक पहुंच सकती है.


लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने पिछले कुछ दिनों में अग्निपथ पर की रिपोर्टिंग की तारीफ करते हुए धन्यवाद दिया कि योजना को लेकर सोशल मीडिया पर जितनी अफवाह और गलत खबरें चल रही थीं उसमें कमी आई है. उन्होनें एक बार फिर दोहराया कि उपद्रवियों के लिए सेना में कोई जगह नहीं है.


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