दिल्ली: थलसेना ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के खराब गोला-बारूद को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले छह साल (2011-2020) तक जितनी रकम का खराब गोला-बारूद थलसेना ने ओएफबी से लिया है. इतने में कम से कम 100 मीडियम गन्स यानि (छोटी) तोप आ सकती थीं.
साथ ही ये भी कहा कि इस खराब गोला-बारूद के चलते 27 सैनिकों की जान इन छह सालों में जा चुकी है. आपको बता दें कि ओएफबी की कार्यशैली को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने ओएफबी के कॉरपेरेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. एक प्राईवेट कंसलटेंसी कंपनी को हायर किया गया है कॉरपेरेटाइजेशन के लिए.
थलसेना की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले छह साल में इस खराब गोला-बारूद के चलते अब तक 403 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. ये घटनाएं इंफेट्री से लेकर आर्मर्ड (टैंक के गोल), आर्टलरी (तोपखाने) और एयर-डिफेंस यूनिट्स में सामने आई हैं. क्योंकि ये सभी यूनिट्स ओएफबी का गोला-बारूद इस्तेमाल करती हैं.
इन घटनाओं में सेना ने वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के पुलगांव के एम्युनेशन डिपो में लगी आग भी शामिल है जिसमें 19 जवानों की जान चली गई थी. अबतक इन खराब गोला-बारूद के चलते कुल 27 सैनिकों की जान चली गई है और 159 सैनिक घायल हो चुके हैं.
थलसेना ने अपनी इस रिपोर्ट में लिखा है कि इस खराब गोला बारूद के चलते अब तक 960 करोड़ का नुकसान हो चुका है. इतनी बड़ी रकम में कम से कम 100 मीडियम गन्स (तोप) खरीदी जकती थीं. इस मामले पर हालांकि, अभी तक ओएफबी का पक्ष सामने नहीं आया है.
ये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब भारत का पिछसले पांच महीने से लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर चीन से टकराव चल रहा है और भारतीय सेना को एक लंबे 'हॉल' के लिए तैयार रहना है.
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